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RRTS का ठेका चीनी कंपनी को देने पर कांग्रेस बोली- चीन का सम्मान और किसानों पर लाठीचार्ज, नहीं भूलेगा देश

दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट का ठेका चीनी कंपनी को दिए जाने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार और बीजेपी पर...
RRTS का ठेका चीनी कंपनी को देने पर कांग्रेस बोली- चीन का सम्मान और किसानों पर लाठीचार्ज, नहीं भूलेगा देश

दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट का ठेका चीनी कंपनी को दिए जाने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार और बीजेपी पर निशाना साधा है। पार्टी ने ट्वीट कर कहा कि घुसपैठिये चीन को प्रोजेक्ट का ठेका दिया जा रहा है और किसानों को पुलिस की लाठियां। कांग्रेस ने ट्वीट में लिखा, 'चीन का सम्मान, किसानों का अपमान। नहीं भूलेगा हिंदुस्तान।'' क्या, यही राष्ट्रवाद की नयी परिभाषा है!

ट्वीट के साथ कांग्रेस ने एक टेंपलेट शेयर किया जिसमें एक तरफ रैपिड रेलवे प्रोजेक्ट की तस्वीर है तो दूसरी तरफ हरियाणा में आंदोलनकारी किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज की। इसमें लिखा है- 'घुसपैठिए चीन को मिला दिल्ली-मेरठ रैपिड रेलवे प्रोजेक्ट का ठेका। किसानों को मिला- हरियाणा पुलिस की बर्बरता, लाठीचार्ज के साथ आंसू गैस के गोले भी छोड़े। चीन का सम्मान, किसानों का अपमान, नहीं भूलेगा हिंदुस्तान।'

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव बल्लभ ने अपने ट्वीट में लिखा है, 'एक तरफ़ सीमा पर तैनात हमारे जांबाज जवान चीनी सेना से देश की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार चीनी कंपनियों को करोड़ों रुपये के ठेके दे रही है। क्या, यही राष्ट्रवाद की नयी परिभाषा है!'  

वंदेभारत और हाई-वे प्रोजेक्ट जैसी परियोजनाओं से चीनी कंपनियों को बाहर कर दिया गया था लेकिन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस परियोजना के तहत न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद तक 5.6 किलोमीटर के भूमिगत मार्ग के निर्माण का ठेका एक चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को दिया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सहयोगी संस्था स्वदेशी जागरण मंच भी चीनी कंपनी को बोली को निरस्त करने की मांग की है।

सरकार का कहना है कि देश की पहली क्षेत्रीय आरआरटीएस को क्रियान्वित करने वाली एनसीआरटीसी ने कहा कि निर्धारित प्रक्रिया और दिशानिर्देशों के तहत यह ठेका दिया गया है। लेकिन सीमा पर पिछले कई महीनों से जारी तनाव के कारण देश में चीनी सामान और चीनी कंपनियों के बहिष्कार की मांग उठ रही है। ऐसे में चीनी कंपनी को एक हजार करोड़ रुपये का ठेका मिलने से सवाल उठना लाजमी है।

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