कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी मंगलवार को सोनभद्र के उभ्भा गांव पहुंची। इस दौरान उन्होंने नरसंहार पीड़ित परिजनों से मुलाकात भी की। माना जा रहा है कि यह कांग्रेस की रणनीति है कि सोनभद्र नरसंहार के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर ज्वलंत बनाए रखा जाए, ताकि राज्य की योगी सरकार को कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर घेरा जा सके। गांव से लौटते समय मीडिया से कहा कि घटना बहुत बड़ी है लेकिन इसके बाद भी प्रशासन द्वारा पीड़ितों को परेशान किया जा रहा है। इसे कांग्रेस उच्च सदन में उठाएगी। प्रियंका गांधी ने गांव की एक महिला के साथ घटनास्थल पर जाकर खेत को देखा। वहां से आने के बाद मृतकों के घर जाकर घर की स्थिति देखी। इस दौरान कुछ पीड़ितों को दिल्ली भी बुलाया।
प्रियंका गांधी उम्भा गांव पहुंचकर गोलीकांड के पीड़ितों से मुलाकात कीं। बता दें कि प्रियंका गांधी ने ग्रामीणों से पहले ही इसके लिए हर संभव कोशिश का वादा किया था। हालांकि उस दौरान सत्ताधारी भाजपा ने प्रियंका गांधी के इस दौरे को राजनीति करार दिया था। भाजपा का आरोप है कि सोनभद्र के विवाद की जड़ में कांग्रेस ही है। सरकार द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के ही एक नेता ने सन 1955 में जमीन को सोसाइटी बनाकर हस्तांतरित किया था।
क्या है पूरा मामला
सोनभद्र जिले के उम्भा गांव में 17 जुलाई को एक जमीन विवाद को लेकर ग्राम प्रधान और उसके सहयोगियों ने लोगों के एक समूह पर गोलियों की बौछार कर दी थी। इस हादसे में कुल 10 लोगों की मौत हो गई थी। 17 जुलाई को जमीन कब्जे को लेकर हुए इस नरसंहार के बाद प्रियंका गांधी उम्भा गांव जाने का प्रयास कर रही थीं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था. उन्हें चुनार के गेस्ट हाउस में रखा गया था, लेकिन प्रियंका के जिद के आगे झुके प्रशासन ने पीड़ित परिजनों को चुनार गेस्ट हाउस ले जाकर उनकी मुलाकात करवाई थी।
रेणुका समिति शुरू करेगी जमीन कब्जाने की जांच
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सोनभद्र और मिर्जापुर जिले में कृषि सहकारी समितियां बनाकर जमीन हथियाने से जुड़े मामलों की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय रेणुका कमेटी इस मामले की जांच मंगलवार से शुरू करेगी। अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की अध्यक्षता में गठित कमेटी की जांच में खुलासा हुआ था कि सोनभद्र नरसंहार की घटना के मूल में रही आदर्श कृषि सहकारी समिति की तरह ही सोनभद्र और मिर्जापुर में 39 कृषि सहकारी समितियां हैं, जो बड़ी मात्रा में जमीनों पर कब्जा किए हुए हैँ।