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जज मुरलीधर के तबादले पर राहुल-प्रियंका ने दागे सवाल, कानून मंत्री ने किया पलटवार

दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई करने वाले हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस. मुरलीधर के तबादले को लेकर राजनीति...
जज मुरलीधर के तबादले पर राहुल-प्रियंका ने दागे सवाल, कानून मंत्री ने किया पलटवार

दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई करने वाले हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस. मुरलीधर के तबादले को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। इस मामले को लेकर एक के बाद एक लोगों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई है। जहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिल्‍ली हिंसा के मामले में सुनवाई करने वाले जज के तबादले को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है। वहीं, कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के साथ ही पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी हमला बोला है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर जस्टिस लोया को याद किया, जिसपर अब सरकार की तरफ से कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए पलटवार किया है।

बता दें कि दिल्ली में हुई हिंसा पर बुधवार को सुनवाई के दौरान पुलिस को फटकार लगाने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस एस. मुरलीधर का ट्रांसफर हो गया है। उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने 12 फरवरी को हुई अपनी बैठक में उनके तबादले की सिफारिश का फैसला किया था।

कानून मंत्री ने किया पलटवार

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'जस्टिस एसय मुरलीधर का तबादला भारत के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की 12 फरवरी की सिफारिश के अनुसार किया गया था। जज का ट्रांसफर करते समय जज की सहमति ली जाती है। अच्छी तरह से तय प्रक्रिया का पालन किया गया है।'

 

क्या राहुल गांधी खुद को सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर मानते हैं?

जस्टिस लोया को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के ट्वीट पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ' जस्टिस लोया के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने अच्छी तरह से सुलझा लिया है। सवाल उठाने वाले लोग विस्तृत तर्कों के बाद कोर्ट के फैसले का सम्मान नहीं करते हैं। क्या राहुल गांधी खुद को सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर मानते हैं?'

बहादुर जज लोया को याद कर रहा हूंराहुल गांधी

बता दें कि राहुल गांधी ने कहा कि बहादुर जज लोया को याद कर रहा हूं, उनका तबादला नहीं हुआ था। दरअसल, मुरलीधर को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला किया गया है। उन्होंने दिल्ली हिंसा के मामले पर सुनवाई की थी।

सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे जस्टिस लोया

बता दें कि जस्टिस लोया गुजरात के बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे। केस महाराष्‍ट्र को ट्रांसफर किए जाने के बाद जस्टिस लोया के पास यह मामला आया था। दिसंबर 2014 में नागपुर में जस्टिस लोया की मौत हो गई थी। उनकी मौत की निष्‍पक्ष जांच की मांग को लेकर दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में खारिज कर दिया था।

न्याय का मुंह बंद करना चाहती है सरकार- प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि जस्टिस मुरलीधर का मौजूदा विवाद के दौरान आधी रात में तबादला चौंकाने वाला नहीं है। लेकिन यह दुखद और शर्मनाक जरूर है। सरकार न्याय का मुंह बंद करना चाहती है। लाखों भारतीयों को एक न्यायप्रिय और ईमानदार न्यायपालिका में विश्वास है, न्याय को विफल करने और उनके विश्वास को तोड़ने के सरकार के प्रयास दुस्साहसी हैं। बता दें कि जस्टिस मुरलीधर को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया है।

भाजपा नेताओं को बचाने के लिए किया गया जज का तबादला

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस. मुरलीधर के तबादले पर कहा कि भाजपा सरकार द्वारा 'हिट एंड रन’ का कमाल का उदाहरण है। कांग्रेस ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने इसे शर्मनाक बताया है कि रातों-रात तबादले से हम हैरान हैं। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा नेताओं को बचाने के लिए उनका तबादला किया गया है, इससे पूरा देश हैरान है। आखिरकार सरकार कितने जजों का तबादला करेगी।

हमारा दायित्व है कि न्याय जीते, दोषियों को सजा मिले

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भय और नफरत का माहौल पैदा करने वाले किसी को भी नहीं बख्शा जाना चाहिए, चाहिए वो किसी भी पार्टी से है। जो भी इससे पीड़ित है, जिसे चोट लगी है और जिसने अपनी आजीविका खोई है, हमारा दायित्व है कि न्याय जीते, दोषियों को सजा मिले। सरकार अगर राजधर्म भूलकर राजनीति धर्म पर चल रही है तो इस देश के न्यायपालिका का कर्तव्य है कि उसे राजधर्म पर लाए।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की 12 फरवरी की सिफारिश को बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे से चर्चा के बाद मंजूरी दे दी। इस संदर्भ में अधिसूचना जारी कर दी गई है। बुधवार को जस्टिस मुरलीधर की पीठ ने दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस को फटकार लगाते हुए तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर के लिए कहा था।

बार एसोएिसशन के वकीलों ने जताई थी नाराजगी

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते कॉलेजियम द्वारा जस्टिस मुरलीधर के तबादले की सिफारिश होने पर दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोएिसशन के वकीलों ने नाराजगी जताई थी। जस्टिस मुरलीधर को 2006 में दिल्ली हाईकोर्ट बतौर जज नियुक्त किया गया था। वह 2023 में सेवानिवृत्त होंगे।

कौन हैं जस्टिस मुरलीधर?

जस्टिस मुरलीधर ने 1987 में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत शुरू की थी। वे बिना फीस के केस लड़ने के लिए चर्चित रहे हैं, इनमें भोपाल गैस त्रासदी और नर्मदा बांध पीड़ितों के केस भी शामिल हैं। 2006 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया। जस्टिस मुरलीधर साम्प्रदायिक हिंसा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लेकर सख्त टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के हाशिमपुरा नरसंहार में दोषी पीएसी जवानों को सजा सुनाई थी। इसके अलावा 1984 दंगा केस में कांग्रेस नेता सज्जन सिंह को दोषी ठहराया। समलैंगिकों के साथ भेदभाव पर फैसला देने वाली बेंच में शामिल रह चुके हैं।

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