भाजपा अध्यक्ष अमित साह पर राज्यसभा चुनाव के अपने हलफनामे में देनदारी छिपाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है। पार्टी ने सोमवार को आयोग से आग्रह किया कि जनप्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन को लेकर शाह की सदस्यता निलंबित करने के लिए उचित कार्रवाई शुरू की जाए। पार्टी का आरोप है कि शाह ने राज्यसभा चुनाव के अपने हलफनामे में अपनी देनदारी की बात जानबूझकर छिपाई जबकि उनके पुत्र जय शाह ने अपने पिता के स्वामित्व वाले दो भूखंडों के नाम पर बैंकों से ऋण सुविधा ली।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मामले से चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा और कहा कि यह जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों का उल्लंघन है। इस प्रतिनिधिमंडल में कपिल सिब्बल, जयराम रमेश, अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तन्खा शामिल थे। आयोग को ज्ञापन सौंपने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिब्बल ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत जो भी चुनाव लड़ता है उसे अपनी संपत्ति और देनदारी घोषित करनी पड़ती है। अमित शाह ने अपनी दो संपत्ति गिरवी रखी जिसके आधार पर उनके पुत्र को 25 करोड़ रुपये का कर्ज मिला। इसका उल्लेख शाह ने अपने चुनावी हलफनामे में नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि हमने चुनाव आयोग से कहा है कि यह नियम का उल्लंघन है और इसके लिए कार्रवाई शुरू होनी चाहिए। हमने यह भी कहा कि चुनाव आयोग 125ए के तहत भी आपराधिक कार्रवाई शुरू करे।
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस ने इस मामले में अदालत का रुख क्यों नहीं किया तो सिब्बल ने कहा कि हम इसे राजनीतिक विवाद का विषय नहीं बनाना चाहते। चुनाव आयोग इस पर कदम उठाए।
कांग्रेस ने एक खबर का हवाला देते हुए ज्ञापन में कहा कि चुनाव आयोग को इस मामले का तत्काल संज्ञान लेना चाहिए और अमित शाह की राज्यसभा की सदस्यता को निलंबित करने के लिए उचित कार्यवाही शुरू करनी चाहिए। पार्टी ने कहा कि चुनाव आयोग को राज्यसभा के सभापति से भी संवाद करना चाहिए कि 2004 नियमों के तहत तय प्रक्रिया शुरू की जाए ताकि विशेषाधिकार हनन के लिए दंड लगाया जा सके। ज्ञापन में कहा गया है कि चुनाव आयोग गलत हलफनामा देने के जिए अमित शाह के खिलाफ कार्रवाई शुरू करे। इसमें छह महीने की कैद या जुर्माने की सजा हो सकती है।