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पीएफ 'क्लेम' की अस्वीकृति की दर बढ़ी, ईपीएफओ की नीतियां असंवेदनशील: कांग्रेस का दावा

कांग्रेस ने शुक्रवार को दावा किया कि भविष्य निधि के ‘क्लेम’ को अस्वीकृत किए जाने की दर बढ़ गई है और...
पीएफ 'क्लेम' की अस्वीकृति की दर बढ़ी, ईपीएफओ की नीतियां असंवेदनशील: कांग्रेस का दावा

कांग्रेस ने शुक्रवार को दावा किया कि भविष्य निधि के ‘क्लेम’ को अस्वीकृत किए जाने की दर बढ़ गई है और इसका एक प्रमुख कारण कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा लागू की गई ऑनलाइन प्रणाली है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह आरोप भी लगाया कि ईपीएफओ की असंवेदनशील नीतियों के कारण कई सेवानिवृत्त कर्मचारियों को आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

 

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘पिछले 10 साल के अन्याय-काल को इससे समझा जा सकता है कि इसमें किसी भी समुदाय को उसका पूरा हक़ नहीं मिला है। महिलाएं ‘जॉब मार्केट’ से बाहर हो गई हैं। युवाओं को रोज़गार नहीं मिल रहा है। किसान अपने फ़सल की पर्याप्त क़ीमतें पाने में असमर्थ हैं।’

उन्होंने दावा किया कि यहां तक कि श्रमिक, जो मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं, अपनी मेहनत की कमाई पाने में असमर्थ हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘ईपीएफओ भारत के श्रमिकों के लिए भविष्य निधि का प्रबंध करने वाला सरकारी संगठन है। इसमें भविष्य निधि (पीएफ) क्लेम के अंतिम निपटान के लिए अस्वीकृति की दरों में काफ़ी वृद्धि देखी है। अभी पीएफ के अंतिम निपटान के लिए लगभग तीन में से एक क्लेम ख़ारिज़ कर दिए गए हैं। यह 2017-18 के 13 प्रतिशत से अधिक है। ‘

उन्होंने कहा,‘‘ ख़ारिज़ होने वाला हर क्लेम कामकाजी परिवारों के मुंह पर तमाचा मारने जैसा है। यह साधारण और ग़रीब परिवारों के लिए अत्यधिक तनाव और पीड़ा का कारण बन रहा है।’

रमेश ने कहा कि इन ‘क्लेम’ से जुड़ी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए ऑनलाइन प्रणाली का लागू किया जाना बड़े पैमाने पर इनके ख़ारिज़ होने का प्रमुख कारण हैं।

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस का पांच न्याय एजेंडा – जिसका ‘श्रमिक न्याय’ मुख्य स्तंभ है। यह सुनिश्चित करेगा कि श्रमिकों और उनके परिवारों को अपने अधिकारों से वंचित न होना पड़े।’

 

 

 

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