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भाजपा को फेसबुक की सहायता मिलने का आरोप, कांग्रेस ने जुकरबर्ग को फिर लिखा पत्र

कांग्रेस ने फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को शनिवार को दोबारा पत्र लिखा और प्रश्न किया कि इस सोशल...
भाजपा को फेसबुक की सहायता मिलने का आरोप, कांग्रेस ने जुकरबर्ग को फिर लिखा पत्र

कांग्रेस ने फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को शनिवार को दोबारा पत्र लिखा और प्रश्न किया कि इस सोशल नेटवर्किंग कंपनी की भारतीय इकाई की ओर से सत्तारूढ़ भाजपा की सहायता किए जाने के आरोपों के संदर्भ में क्या कदम उठाए गए हैं? मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा है कि फेसबुक के कुछ कर्मचारियों और बीजेपी के बीच कथित 'सांठगांठ' के मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच होनी चाहिए।

पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने अमेरिका की मशहूर पत्रिका 'टाइम' की एक खबर का हवाला देते हुए जुकरबर्ग को पत्र लिखा है। उनका दावा है कि इस पत्रिका की रिपोर्ट से बीजेपी एवं फेसबुक इंडिया के ‘एक दूसरे को लाभ पहुंचाने और पक्षपात के सबूत’ तथा दूसरी जानकारियां सामने आई हैं। कांग्रेस के आरोपों पर फेसबुक और बीजेपी की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

गौरतलब है कि अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ में भी पिछले दिनों इसी प्रकार की एक खबर प्रकाशित हुई थी जिसके बाद कांग्रेस ने फेसबुक की भारतीय इकाई और बीजेपी के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया था और जुकरबर्ग को पत्र लिखकर इस मामले की विस्तृत जांच कराने की मांग की थी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर दावा किया था कि इससे ‘वॉट्सऐप और भाजपा की सांठगांठ’ का खुलासा हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया, 'भारत में वॉट्सऐप का 40 करोड़ लोग उपयोग करते हैं। वॉट्सऐप को पैसे के लेनदेन की सेवा शुरू करने के लिए मोदी सरकार की इजाजत की आवश्यकता है। ऐसे में वॉट्सऐप भाजपा की गिरफ्त में है।'

बता दें कि है कि वॉट्सऐप का स्वामित्व फेसबुक के पास है। वेणुगोपाल ने गत 17 अगस्त के लिखे अपने पत्र का हवाला दिया और जुकरबर्ग से प्रश्न किया कि कांग्रेस के पहले जो मुद्दे उठाए थे उन पर फेसबुक की ओर से क्या कदम उठाए गए हैं? कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा और पार्टी के डेटा विश्लेषण विभाग के प्रमुख प्रवीण चक्रवर्ती ने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा और फेसबुक इंडिया के लोगों के बीच कथित संबंध के मामले की जांच जेपीसी से होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि फेसबुक की ओर से अपनी भारतीय शाखा की जिस जांच का आदेश दिया गया उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए।

 

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