प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह कांग्रेस जनों को जल्द सत्ता में हिस्सेदारी का तोहफा दे सकते हैं। तोहफा के सहारे पार्टी के लोगों की नाराजगी दूर करने की कोशिश होगी। खरमास खत्म हो चुका है मंथन शुरू है। बोर्ड, निगमों, बीस सूत्री समिति, निगरानी समिति में प्रदेश से लेकर नीचे तक के समर्पित कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करने की कवायद चल रही है।
इस सिलसिले में तीन दिवसीय दौरे पर आये आरपीएन सिंह ने पार्टी के जिलाध्यक्षों, जोनल को ऑर्डिनेटरों , दावेदारों, प्रदेश अध्यक्ष, हेमन्त सरकार में शामिल कांग्रेसी मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से भी बात की है। हेमन्त सरकार के एक साल हो गये हैं मगर इन पदों को कायदे से भरा नहीं गया है, अधिकांश रिक्त हैं।
करीब ढाई दर्जन बोर्ड निगमों के जगह खाली है। हिस्सेदारी झारखंड मुक्ति मोर्चा की भी होगी। आरपीएन के करीबी बताते हैं कि 60-40 का फार्मूला बना है। यानी कांग्रेस को 40 फीसदी। बोर्ड निगमों में विधायकों को एडजस्ट किया जा सकता है। बीस सूत्री व निगरानी समिति में भी राज्यस्तरीय पदों पर विधायकों या बड़े नेताओं को जगह मिल सकती है। पार्टी के भीतर भी कोटा के अंदर कोटा का मामला है। कुछ बड़े नेता अपने लोगों के लिए जगह चाहते हैं। अब समय बतायेगा कि किसकी नाराजगी दूर हुई और आरपीएन से छत्तीस के रिश्ते वालों को क्या मिला।