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हरियाणा से 3 उम्मीदवार राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए, हुड्डा की जीत से भाजपा की रणनीति पर सवाल

हरियाणा की तीन राज्यसभा सीटों के लिए कांग्रेस से दीपेंद्र हुड्डा, भाजपा से रामचंद्र जांगड़ा और दुष्यंत...
हरियाणा से 3 उम्मीदवार राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए, हुड्डा की जीत से भाजपा की रणनीति पर सवाल

हरियाणा की तीन राज्यसभा सीटों के लिए कांग्रेस से दीपेंद्र हुड्डा, भाजपा से रामचंद्र जांगड़ा और दुष्यंत गौतम निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। बुधवार को निर्वाचन अधिकारी अजीत बाला जोशी ने यह घोषणा की। दीपेंद्र व जांगड़ा 6-6 साल के लिए राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुए हैं, जबकि दुष्यंत गौतम का कार्यकाल 2022 तक होगा क्योंकि उन्हें चौधरी बीरेंद्र सिंह के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर चुना गया है।

कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा को हरियाणा से निर्विरोध राज्यसभा के लिए सांसद चुने जाने पर राज्य की भाजपा-जजपा की गठबंधन सरकार पर सवाल खड़ा हो गए हैं क्योंकि गठबंधन सरकार ने उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था। बताया जाता है कि गठबंधन सरकार ने दीपेंद्र के खिलाफ इसलिए भी उम्मीदवार नहीं उतारा था क्योंकि उसे पता था कि क्रास वोटिंग के जरिए दीपेंद्र की जीत  तय थी। इसी फजीहत से बचने के लिए राज्य सरकार ने कोई जोखिम नहीं लिया। दीपेंद्र की जीत के बाद राज्य में राजनैतिक समीकरण बदलने को लेकर भी सुगबुगाहट शुरू हो गई है।

हुड्डा की जीत तय थी

असल में  दीपेंद्र हुड्डा को कांग्रेस के 31 विधायकों के अलावा कुछ निर्दलीय और जजपा के विधायकों का समर्थन हासिल होता दिखाई दे रहा था। इसके अलावा इनलो के एकमात्र विधायक अभय चौटाला ने भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा अपने पुत्र के लिए समर्थन मांगने पर उन्हें खुलेआम आशीर्वाद देने की बात कह दी थी। राज्य की गठबंधन सरकार को अंदरूनी तौर पर इस बात का पता चल गया था कि दीपेंद्र हुड्डा को 40 विधायकों का समर्थन मिल सकता है।

गठबंधन सरकार ने नहीं उतारा उम्मीदवार

गठबंधन सरकार को पता था कि अगर वह उम्मीदवार उतारती तो उसकी कमजोरी सामने आती। हार के बाद सरकार के अल्पमत में होने को लेकर भी सवाल खड़ा होना तय था। गठबंधन सरकार ने कोई विकल्प न देख दीपेंद्र के सामने अपना उम्मीदवार न उतारने का फैसला लिया ताकि सरकार की छवि पर असर न पड़े। दीपेंद्र हुड्डा की जीत ने गठबंधऩ सरकार की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। 

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