उपराज्यपाल एवं नौकरशाही के साथ निरंतर टकराव, सेवा विषयक मामलों पर नियंत्रण को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कुछ समय के लिए उनपर अधिकार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय का नोटिस 2023 में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के लिए प्रमुख घटनाएं रहीं।
उच्चतम न्यायालय ने 11 मई को दिल्ली की निर्वाचित आप सरकार को नौकरशाहों की नियुक्ति एवं तबादलों समेत सेवा विषयक मामलों पर कार्यकारी नियंत्रण सौंपा था। इस फैसले के हफ्ते भर के भीतर ही भाजपा नीत केंद्र सरकार उपराज्यपाल के पक्ष में चीजें करने के लिए कानून ले आयी।
हर बीतते सप्ताह और महीने में आप सरकार तथा राजनिवास एवं नौकरशाहों के बीच वाकयुद्ध तेज होता गया। उपराज्यपाल वी के सक्सेना, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मुख्य सचिव नरेश कुमार इस वाकयुद्ध में उलझे रहे।
जनवरी में दोनों पक्ष (आप सरकार एवं राजनिवास) तब एक-दूसरे के सामने आ गये जब केजरीवाल ने सरकारी विद्यालयों के अध्यापकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने में कथित रूप से बाधा डालने के खिलाफ अपने मंत्रियों एवं विधायकों के साथ विधानसभा से राजनिवास तक मार्च किया।
केजरीवाल ने कहा,‘‘उपराज्यपाल हमारे प्रधानाचार्य नहीं हैं।’’ उन्होंने सक्सेना पर सरकार के कामकाज में दखल देने तथा निर्णय लेने की प्रक्रिया में उसकी अनदेखी का आरोप लगाया।
दोनों के बीच दूरी बढ़ती ही गयी तथा साल के आखिर में सक्सेना ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में घटिया दवाइयों की कथित खरीद तथा आपूर्ति की सीबीआई जांच की सिफारिश कर डाली।
उपराज्यपाल ने पिछले साल कथित आबकारी नीति घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। अब इस मामले की जांच सीबीआई एवं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों ही कर रहे हैं। हाल ही में ईडी ने इस कथित घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले की अपनी जांच के सिलसिले में केजरीवाल को पूछताछ के लिए समन भेजा था।
आबकारी ‘घोटाले’ में सीबीआई द्वारा फरवरी में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के साथ यह जोर-आजमाइश बढ़ने लगी ।
आप सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा नीत केंद्र सरकार एवं उपराज्यपाल पर शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य क्षेत्रों में उसके अच्छे कार्यों को पटरी से उतारने की साजिश का आरोप लगाया। केजरीवाल ने इस घटनाक्रम को ‘गंदी राजनीति’ बताया और उम्मीद जतायी कि लोग उपयुक्त समय पर इसका जवाब देंगे। आप सरकार ने मुख्य सचिव के खिलाफ ‘भ्रष्टाचार’ को लेकर कार्रवाई की मांग की।
उच्चतम न्यायालय का 11 मई का फैसला केजरीवाल सरकार के लिए सकारात्मक कदम के रूप में आया था जब शीर्ष अदालत ने शहर की नौकरशाही पर नियंत्रण आप सरकार को प्रदान कर दिया। पहले सेवा संबंधी मामले उपराज्यपाल देखते थे।
इस फैसले के कुछ घंटे बाद ही केजरीवाल सरकार ने सेवा सचिव का तथा सतर्कता निदेशालय समेत विभिन्न विभागों के शीर्ष अधिकारियों का स्थानांतरण कर दिया।
केजरीवाल ने कहा कि पहले उनके हाथ बंधे हुए थे। उन्होंने चेतावनी दी कि जो अधिकारी सरकार के जनसंबंधी कामकाज में व्यवधान डालते हैं, उन्हें दुष्परिणाम भुगतने होंगे।
आप सरकार इस फैसले का आनंद ले भी नहीं पाई थी कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश जारी कर दिया तथा सेवा संबंधी नियंत्रण उपराज्यपाल के माध्यम से अपने हाथों में ले लिया।
बाद में यह अध्यादेश कानून बन गया जिसमें मुख्यमंत्री की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के हाथों में सेवा संबंधी मामले दे दिये गये। हालांकि वास्तविक नियंत्रण उपराज्यपाल पास ही रहा क्योंकि इस प्राधिकरण के दो सदस्य नौकरशाह हैं।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम अगस्त में लागू होने के बाद निर्वाचित सरकार के उपराज्यपाल एवं अधिकारियों के साथ रिश्ते और खराब हो गए।
आप सरकार ने अधिकारियों पर उसके काम में रूकावट डालने, मंत्रियों की बातें नहीं सुनने एवं बैठकों में नहीं आने का आरोप लगाया।
सौरभ भारद्वाज एवं आतिशी जैसे मंत्रियों ने विभिन्न अवसरों पर वित्त विभाग पर अहम परियोजनाओं के लिए निधि रोकने का आरोप लगाया। हालांकि कुछ विभागों के सरकारी अधिकारियों ने कहा कि अड़चनों के बाजवूद कई उपलब्धियां रहीं।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक की संख्या बढ़ती जा रही है तथा 2023 में 70 नये क्लीनिक बने। नये क्लीनिक का उद्घाटन रोकने, डॉक्टरों एवं प्रयोगशालाओं के लिए (जांच के बदले) भुगतान रोकने तथा मौजूदा 500 मोहल्ला क्लीनिक के कामकाज को बंद करने की अधिकारियों के कोशिश के बावजूद यह उपलब्धि हासिल हुई। हर दिन मोहल्ला क्लीनिक में करीब 70,000 मरीजों को मुफ्त इलाज, जांच और दवाइयां मिलती रहीं।’’
साल 2023 में दिल्ली सरकार ने छह नये स्कूलों का तथा वर्तमान स्कूलों में तीन नये भवनों का उद्घाटन किया।
दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केजरीवाल सरकार ने एक नई पहल करते हुए 30 जनवरी को राउज एवेन्यू में ‘रीयल-टाइम स्रोत विभाजन सुपरसाइट’ प्रयोगशाला की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि आप सरकार अब यहां ‘रीयल-टाइम स्रोत विभाजन अध्ययन’ की शुरुआत के साथ अधिक सटीक तरीके से प्रदूषण से निपटने में सक्षम होगी।
‘‘वास्तविक समय स्रोत विभाजन’’ अध्ययन दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-दिल्ली, आईआईटी-कानपुर और टेरी की संयुक्त कवायद है। इस प्रयोगशाला का भुगतान बंद कर इसका काम रोकने के तमाम प्रयासों के बावजूद केजरीवाल सरकार को उच्चतम न्यायालय से राहत मिल गई।