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स्वास्थ्य व्यवस्था का ‘दिल्ली मॉडल’ वेंटिलेटर पर प्रतीत होता है: उपराज्यपाल सक्सेना

दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को पत्र लिखकर कहा कि स्वास्थ्य...
स्वास्थ्य व्यवस्था का ‘दिल्ली मॉडल’ वेंटिलेटर पर प्रतीत होता है: उपराज्यपाल सक्सेना

दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को पत्र लिखकर कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था का बहुप्रचारित ‘‘दिल्ली मॉडल’’ वेंटिलेटर पर प्रतीत होता है। उन्होंने सरकार को इस मुद्दे पर एक श्वेत पत्र लाने का भी सुझाव दिया।

सक्सेना का यह पत्र ऐसे वक्त आया है, जब एक दिन पहले उपराज्यपाल को लिखे पत्र में भारद्वाज ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में ‘‘दवाओं और अन्य चिकित्सकीय सामग्रियों की अनुपलब्धता’’ की जांच का आदेश देने को कहा था।

भारद्वाज ने डॉ हेडगेवार आरोग्य संस्थान और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में बुनियादी चिकित्सकीय सामग्रियों की कमी के बारे में आई खबरों के बाद उपराज्यपाल को पत्र लिखा था।

उपराज्यपाल के पत्र का जवाब देते हुए दिल्ली सरकार ने कहा कि एक साजिश के तहत दिल्ली सरकार के नियंत्रण वाले अस्पतालों में दवाओं और अन्य चिकित्सकीय सामग्रियों की कमी दिखाई जा रही है।

उपराज्यपाल ने अपने पत्र में कहा कि उन्होंने भारद्वाज से पिछले एक सप्ताह में दो मौकों पर स्वास्थ्य सेवा से संबंधित सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा के लिए मिलने का आग्रह किया था। सक्सेना ने पत्र में कहा, ‘‘हालांकि, आपने मुलाकात के आग्रह को नजरअंदाज करने का फैसला किया और चर्चा में शामिल नहीं होने के लिए तुच्छ बहाने बनाये।’’

 

उपराज्यपाल ने कहा कि वह ‘‘दिल्ली सरकार के अस्पतालों की दयनीय स्थिति से स्तब्ध हैं।’’ पत्र में सक्सेना ने कहा, ‘‘यह वास्तव में चौंकाने वाला है कि स्वास्थ्य व्यवस्था का बहुप्रचारित ‘दिल्ली मॉडल’ दयनीय हालत में है। वास्तव में यह जीवन रक्षक वेंटिलेटर पर प्रतीत होता है।’’

सक्सेना ने मंत्री को पत्र में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आपने अपने ही मुख्यमंत्री और विभाग में अपने पूर्ववर्तियों के बहुप्रचारित स्वास्थ्य मॉडल के दावों को खारिज कर दिया है। मुझे हैरानी है कि दिल्ली सरकार के अस्पताल में रूई जैसी बुनियादी चीजें भी नहीं हैं। आपने एक अस्पताल में आर्थोपेडिक डॉक्टर की अनुपलब्धता पर भी प्रकाश डाला है।’’

सक्सेना ने पत्र में भारद्वाज पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘‘आपने किसी भी कमी के लिए पूरी तरह से वरिष्ठ अधिकारियों पर दोष मढ़ने और अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग करने के लिए बार-बार मुझे पत्र भेजने का चलन’’ बना लिया है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) वह निकाय है जो स्थानांतरण, पदस्थापना और सतर्कता, अनुशासनात्मक कार्रवाइयों की सिफारिश करता है और इसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री करते हैं, जो एजेंडा तय करते हैं और ऐसी बैठकों के लिए समय निर्धारित करते हैं।

सक्सेना ने पत्र में कहा, ‘‘ऐसी कोई भी कार्रवाई एनसीसीएसए करता है और आपको इस बारे में कोई भी परेशानी मुख्यमंत्री के साथ साझा करनी चाहिए। हालांकि, मुख्यमंत्री ने पिछले छह महीनों में एनसीसीएसए की एक भी बैठक नहीं बुलाई, जिसके कारण उन्हें अच्छी तरह पता होंगे।’’

भारद्वाज द्वारा उन्हें लिखे गए पत्र का जिक्र करते हुए उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘इस तरह के पत्र का एकमात्र उद्देश्य प्रशासन में खामियों के लिए अपनी जिम्मेदारी से बचना और सार्वजनिक तौर पर झूठा माहौल बनाना है, जिसमें यह दर्शाया जा सके कि सभी विफलताओं के लिए आप नहीं, कोई और जिम्मेदार है।’’

उपराज्यपाल ने पत्र में कहा, ‘‘मैं एक बार फिर आपसे नेतृत्व प्रदर्शित करने और महत्वपूर्ण कदम के लिए एक खाका तैयार करने का आग्रह करूंगा। इस विषय पर एक श्वेत पत्र सार्थक शुरुआती बिंदु हो सकता है। आप मार्गदर्शन के लिए विशेषज्ञों को शामिल कर सकते हैं।’’

दिल्ली सरकार ने पलटवार करते हुए उपराज्यपाल पर ‘‘इस मुद्दे पर राजनीति करने’’ का आरोप लगाया। दिल्ली सरकार ने कहा, ‘‘उपराज्यपाल दवाओं की कमी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का पक्ष ले रहे हैं। केवल उपराज्यपाल ही अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं लेकिन इससे पता चलता है कि वह उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाहते हैं।’’

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