षणमुगानाथन के आरएसएस की पृष्ठभूमि से होने के कारण कांग्रेस ने इस मामले में अपना रुख कड़ा कर लिया है। अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस समिति ने अरुणाचल प्रदेश के अतिरिक्त प्रभारी और मेघालय के पूर्व राज्यपाल वी. षणमुगनाथन की कथित यौन शोषण मामले में तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पाडी रिको ने कहा कि यौन शोषण मामले में नाम आने के बाद षणमुगनाथन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जो उनके कुकृत्य को छिपाने के लिए काफी नहीं है। उन्होंने अपने पद तथा राजभवन की गरिमा का अपमान करते हुए पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचाई है।
रिको ने कहा कि किसी अनुभवी सेवानिवृत्त नौकरशाह को राज्य का संवैधानिक प्रमुख बनाने के स्थान पर नरेन्द्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पृष्ठभूमि वाले षणमुगनाथन जैसे व्यक्ति को राज्य का राज्यपाल बनाकर अपने अपरिपक्व फैसले का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि राजभवन के कर्मचारियों का आरोप है कि राज्यपाल ने राजभवन की गरिमा के साथ समझौता करते हुए इसे युवा महिलाओं का क्लब बना दिया था। प्रदेश अध्यक्ष ने राज्य महिला आयोग और राज्य में कार्यरत अन्य महिला कल्याण संगठनों से आगे आकर सीसीटीवी फुटेज और राजभवन में आने वाले आगंतुकों के रजिस्टर की जांच तथा पुष्टि की अपील की है, ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके।
शिलांग राजभवन के करीब 80 कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को खत लिखकर उनकी शिकायत की थी और उन्हें तत्काल हटाने की मांग की थी। कर्मचारियों ने लिखा था कि राज्यपाल की हरकतों से राजभवन की प्रतिष्ठा और राजभवन के कर्मचारियों की भावनाएं आहत हुई हैं। राज्यपाल राजभवन की गरिमा से समझौता कर रहे हैं और उन्होंने इसे 'यंग लेडीज क्लब' बना दिया है। राज्यपाल सभी पुराने लोगों को हटाकर केवल युवा लड़कियों को वहां ला रहे हैं। एक लड़की ने उनपर किस करने का आरोप भी लगाया है।
तमिलनाडु से वरिष्ठ आरएसएस कार्यकर्ता 68 वर्षीय षण्मुगनाथन ने बतौर राज्यपाल 20 मई, 2015 को कार्यभार संभाला था। जेपी राजखोवा को हटाए जाने के बाद उन्हें अरुणाचल प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था। सितंबर 2015 से अगस्त 2016 तक उनके पास मणिपुर का अतिरिक्त चार्ज भी था।