राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य सरकारों से धर्म के नाम पर उपद्रव करने वाले तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने और शांति की अपील करने का अनुरोध किया। उनकी टिप्पणी रामनवमी के दौरान कुछ राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं की पृष्ठभूमि में आई है।
देश में सांप्रदायिक तनाव की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए गहलोत ने कहा कि शांति के बिना देश का विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा, "महात्मा गांधी ने कहा था कि मुझे हिंदू होने पर गर्व है लेकिन मेरा हिंदू धर्म न तो असहिष्णु है और न ही किसी का बहिष्कार करने वाला। हम सभी हिंदू हैं लेकिन हमारा धर्म सिखाता है कि हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। यदि हम सभी एक दूसरे के धर्म का सम्मान करते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ऐसी स्थिति नहीं बनेगी।"
उन्होंने कहा, "मैं फिर से माननीय प्रधानमंत्री से देश में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव को कम करने का संदेश देने और राज्य सरकारों से धर्म के नाम पर उपद्रव पैदा करने वाले शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील करता हूं।"
मांसाहारी भोजन परोसने को लेकर जवाहरलाल विश्वविद्यालय में हाल ही में हुई झड़प का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा कि शांति के बिना विकास संभव नहीं है, लेकिन अगर देश के लोग भोजन, पोशाक और धार्मिक परंपराओं को लेकर आपस में लड़ते रहें और कुछ अनियंत्रित तत्व रहते हैं। उन्हें भड़काएंगे तो यह देश छोटी-छोटी बातों में उलझा रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, "प्रधानमंत्री को देश की जनता से शांति की अपील कर देश के बिगड़ते माहौल को सुधारने का प्रयास करना चाहिए। अगर देश के नागरिकों के बीच भेदभाव होगा तो यह देश के भविष्य के लिए उचित नहीं होगा।"
अशोक गहलोत ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवन के अखंड भारत के बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि अखंड भारत तब बनेगा जब देश में शांति, सद्भाव और सौहार्द्र कायम रहेगा। हर जाति और धर्म के लोग मिलजुलकर रहेंगे। उन्होंने कहा कि देश के हालात ऐसे हैं कि यहां हिंदू भी संकट में है। दलितों से घोड़ी से उतारा जा रहा है। उतारने वाले भी हिंदू हैं और उतारे जाने वाले भी हिंदू है। शांति कायम होनी चाहिए। छुआछूत समेत अन्य भेदभाव खत्म होने चाहिए। तब अखंड भारत बनेगा।
उन्होंने आरएसएस पर भी निशाना साधते हुए कहा-आरएसएस और भाजपा चुनाव जीतने के लिए महात्मा गांधी, अंबेडकर और सरदार पटेल का नाम ले रहे हैं, जबकि इनमें उनका कभी यकीन नहीं रहा है। आरएसएस ने जो कहा था-कभी भी सियासत का हिस्सा नहीं बनेंगे। अब उन्हें घर घर जाकर लोगों को शांति और अहिंसा का संदेश देना चाहिए।