केंद्र सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोकने के लिए राहुल गांधी के बाद अब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने भी नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की है। पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह ने कहा है कि मौजूदा वक्त में सरकारी कर्मचारियों को आर्थिक रूप से मुश्किल में डालना गैरजरूरी है।
इससे पहले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मोदी सरकार के इस फैसले को अमानवीय और असंवेदनशील कहा था। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना और केंद्रीय विस्टा सौंदर्यीकरण परियोजना को निलंबित करने के बजाय कोरोना से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता काटना सरकार का असंवेदनशील तथा अमानवीय फैसला है।’
‘लोगों पर ये कठोरता थोपना आवश्यक नहीं’
सरकार द्वारा कर्मचारियों के महंगाई भत्ता पर जुलाई 2021 तक रोक लगाने के फैसले पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा, ‘मैं यह पूरी तरह से मानता हूं कि इस समय सरकारी कर्मचारियों और सशस्त्र बलों के लोगों पर ये कठोरता थोपना आवश्यक नहीं है’।
जब कर्मचारियों को देने के लिए पैसा नहीं, तो फिर बड़े प्रोजेक्ट क्यों
इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस मामले पर कुछ आंकड़े पेश किए और सरकार के इस फैसले पर कर्मचारियों के जले पर नमक छिड़कने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि केवल एक महीने पहले, 23 मार्च, 2020 को मोदी सरकार ने 30,42,000 करोड़ रुपये का बजट पारित किया। स्वाभाविक तौर से बजट में आय व खर्चे का लेखा-जोखा स्पष्ट तौर से दिया जाता है। फिर बजट पेश करने के 30 दिन के अंदर ही मोदी सरकार सेना के जवानों, सरकारी कर्मचारियों व पेंशनर्स के महंगाई भत्ते पर कैंची चलाकर क्या साबित करना चाहती है? अब एक महीने बाद वित्त मंत्रालय ने अजीबोगरीब फरमान जारी कर दिया है।
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बताएं कि जब खर्च कम करने की दिशा में जवानों तक का महंगाई भत्ता काटा जा रहा है तो फिर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चालू रखने का क्या औचित्य है.उन्होंने पूछा कि क्या सरकार के पास अपने जवानों को देने के लिए भी धन नहीं है।
डीए पर केंद्र सरकार ने लगाई रोक
दरअसाल, केंद्र सरकार ने गुरुवार को 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 61 लाख पेंशनभोगियों को दिए जाने वाला महंगाई भत्ता रोकने का फैसला किया था। सरकार के मुताबिक कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से सरकार पर पड़े आर्थिक बोझ के कारण ये फैसला लिया गया है। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर ये रोक जून 2021 तक लागू रहेगी। इस कटौती की वजह से केंद्र और राज्य सरकार के खजाने को लगभग सवा लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।
पिछले महीने ही बढ़ाने का किया था ऐलान
माना जा रहा है कि महंगाई भत्ते पर रोक लगाने से सरकार को करीब सवा लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। कोरोना वायरस के कारण पैदा हुए संकट के बीच सरकार इसे बड़ा कदम बता रही है। मोदी सरकार ने पिछले महीने ही केंद्रीय कर्मियों के मंहगाई भत्ते में चार फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया था, लेकिन अब उस बढ़े महंगाई भत्ते पर रोक लगा दी गई है।