मध्य प्रदेश में बदलते सियायी घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने देर रात राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की। कमलनाथ ने कहा कि हमने वर्तमान राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। मैंने आज विधानसभा में उनके संबोधन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। मैंने कहा कि हम संविधान के भीतर चीजों के लिए तैयार हैं, लेकिन हम इसके दायरे से बाहर नहीं जा सकते। बीजेपी अविश्वास प्रस्ताव लाई लेकिन मौजूदा समय में हमारे पास संख्या है। इससे पहले राज्यपाल ने सीएम कमलनाथ को मंगलवार को फ्लोट टेस्ट कराकर बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था। उन्होंने एक पत्र में कहा कि अगर आप फ्लोर टेस्ट नहीं कराते हैं तो यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत नहीं है।
राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि खेद है कि आपने मेरे द्वारा दी गई समयावधि में अपना बहुमत सिद्ध करने के बजाय पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट करवाने में असमर्थता जताई जिसका कोई भी आधार नहीं है।
26 मार्च तक कार्यवाही स्थगित
इससे पहले सोमवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में राज्यपाल के निर्देश के बावजूद फ्लोर टेस्ट नहीं हो पाया और उनके अभिभाषण के तुरंत बाद विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में विधायकों से संविधान के मर्यादा के अनुरूप दायित्व निभाने की नसीहत दी थी, जिसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दस दिन तक स्थगित करने का फैसला लिया। जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में भाजपा विधायकों ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश देने की मांग की थी।
कमलनाथ ने लिखा था पत्र, जताई थी असमर्थता
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद राज्यपाल लालजी टंडन को पत्र लिखा, इसमें सीएम ने कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का कोई औचित्य नहीं बनता है। सीएम कमलनाथ ने लिखा, 'फ्लोर टेस्ट का औचित्य तभी है, जब सभी विधायक बंदिश से बाहर हों और पूर्ण रूप से दबावमुक्त हों। ऐसा न होने पर फ्लोर टेस्ट कराना पूर्ण रूप से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक होगा।' उन्होंने पत्र में आरोप लगाया कि बीजेपी ने कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाकर कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखकर उन्हें विभिन्न प्रकार के बयान देने को मजबूर किया जा रहा है। कमलनाथ ने अपने पत्र में संविधान के अनुच्छेद 175(2) के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लेख किया। बता दें कि राज्यपाल लालजी टंडन ने विधानसभा अध्यक्ष को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
वहीं, आज फ्लोर टेस्ट न कराए जाने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीतिक लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। फ्लोर टेस्ट कैंसल होने के बाद पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने कहा है कि 48 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट करवाया जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होगी। एमपी के पूर्व महाधिवक्ता पुरुषिंद्र कौरव ने कहा, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में राजनीतिक संकट के मद्देनजर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश देने की मांग की।