यह अभियान 4 दिसंबर से यूपी के दलितों के लिए आरक्षित 85 सीटों के 3000 गांवों में 50 दिनों तक चलाया जाएगा। इसकी तैयारी से पीके को बाहर रखना दिखाता है कि पार्टी अंततः अपने कार्यकर्ताओं पर ही भरोसा करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
प्रदेश कांग्रेस दलित प्रकोष्ठ के प्रमुख भगवती चौधरी के अनुसार पार्टी ने तय किया कि वह अपने दम पर यह अभियान चलाएगी। पीके ने इससे पहले पार्टी के लिए ‘27 साल यूपी बेहाल’ और किसान यात्रा जैसे अभियान आरंभ किए हैं। पिछले दिनों पीके ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात कर सपा-कांग्रेस गठबंधन की संभावनाएं तलाशी थी। हालांकि इसका तब पार्टी के अंदर से ही यह कहते हुए विरोध हुआ था कि इससे राज्य में पार्टी को अपने दम पर खड़ा करने की उम्मीदें खत्म हो जाएगी।
दलित मुद्दे पर अभियान से पार्टी ने पीके को भले ही अलग कर दिया हो मगर इस अभियान की पूरी तैयारी पीके के अंदाज में ही की जा रही है। उसी तरह करीब 100 मिनी रथ तैयार करवाए गए हैं और हर रथ पर तीन प्रशिक्षित कैडर को रखा जाएगा। इसके साथ ही पार्टी ने प्रचार सामग्री भी तैयार करवा ली है। यह अभियान जिसे पीएल पूनिया, के राजू(राज्यसभा सांसद), भगवती चौधरी आदि नेता आगे बढ़ाएंगे, पार्टी के राज्य प्रभारी गुलाम नबी आजाद की मौजूदगी में आरंभ होगा।