असम में 30 जुलाई को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस के दूसरे ड्राफ्ट में फाइनल लिस्ट प्रकाशित की गई है। इसे लेकर देश की कई राजनीतिक पार्टियों ने केंद्र पर निशाना साधा है। असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए एनआरसी ड्राफ्ट को खामियों का पुलिंदा बताया है। उनका कहना है कि कांग्रेस की एनआरसी के पीछे सभी को साथ लेकर चलने की मंशा थी लेकिन यह ड्राफ्ट कांग्रेस की सोच के उलट है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस ड्राफ्ट को तैयार करने में हर स्तर पर लापरवाही बरती गई है। यह समस्या केंद्र की भाजपा सरकार ने पैदा की है। सरकार की गलती के कारण असम के लोगों में भय व्याप्त है और राज्य में हो रहे उथल-पुथल के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। सरकार किसी को कभी भी अवैध घोषित कर देश छोड़ने के लिए मजबूर कर सकती है। उन्होंने छूट गए नामों को एनआरसी में दर्ज कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने एनआरसी ड्राफ्ट कांग्रेस की मंशा के विपरीत तैयार कराया है और खास समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव करने का काम किया है।
यह है पूरा मामला
सोमवार को असम में एनआरसी का ड्राफ्ट जारी होने के बाद 40 लाख लोगों का नाम सूची से बाहर कर दिया गया है जिस पर पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी आपत्ति जता चुकी हैं।
एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट के मुताबिक आवेदन किए गए कुल 3.29 करोड़ लोगों में 2,89,83,677 लोगों का नाम ही सिटीजंस रजिस्टर में प्रकाशित किया गया है। एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया 2013 में शुरू हुई थी तथा यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन और दिशानिर्देशों के तहत की गई है।