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गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने डिप्टी सीएम सुदीन धवलीकर को पद से हटाया

महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के दो विधायकों के अपनी पार्टी से अलग होकर सत्तारूढ़ भाजपा में...
गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने डिप्टी सीएम सुदीन धवलीकर को पद से हटाया

महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के दो विधायकों के अपनी पार्टी से अलग होकर सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने के बाद गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने डिप्टी सीएम सुदीन धवलीकर को बुधवार को कैबिनेट से हटा दिया। धवलीकर एमजीपी के एकमात्र विधायक थे, जो पार्टी से अलग नहीं हुए थे।

मुख्यमंत्री सावंत ने गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा के नाम संबोधित पत्र में धवलीकर को हटाए जाने की सूचना दे दी है। सावंत ने कहा, ‘मैंने सुदीन धवलीकर को कैबिनेट से हटा दिया है। रिक्त सीट को भरने का निर्णय शीघ्र लिया जाएगा।’

धवलीकर को परिवहन और लोक कल्याण मंत्रालय सौंपे गए थे जिनका कार्यभार सावंत खुद  संभालेंगे। वहीं दिल्ली में मौजूद राज्यपाल सिन्हा ने अपना दौरा समय से पूर्व समाप्त कर दिया है और वह धवलीकर का स्थान लेने वाले नए मंत्री को शपथ ग्रहण कराने के लिए बुधवार शाम को गोवा पहुंचेंगी।

विधायक मनोहर अजगांवकर और दीपक पावस्कर ने गोवा विधानसभा के कार्यवाहक अध्यक्ष माइकल लोबो को पत्र दिया था जिसमें एमजीपी विधायक दल के भाजपा में विलय की बात कही गई थी। हालांकि एमजीपी के तीसरे विधायक सुदीन धवलीकर के इस पर हस्ताक्षर नहीं हैं।

विधायकों ने स्पीकर को सौंपा पत्र

एमजीपी के दोनों विधायकों मनोहर अजगांवकर और दीपक पवास्कर ने गोवा विधानसभा के स्पीकर को पत्र सौंपकर कहा है कि उन्होंने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी का बीजेपी में विलय का फैसला किया है। विधायकों ने यह पत्र स्पीकर माइकल लोबो को सौंपा। हालांकि, पार्टी के तीसरे विधायक सुदिन धवलीकर ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है। लोबो ने पुष्टि की कि उन्हें उनके विधायक दल को भाजपा में विलय कराने के लिए दोनों विधायकों से 1:45 बजे पत्र मिला।

इस घटनाक्रम से पहले गोवा सरकार की स्थिरता के लिए एमजीपी के तीन विधायकों का समर्थन आवश्यक था। गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार को 20 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इनमें भाजपा के 11, एमजीपी और गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के तीन-तीन और तीन निर्दलीय विधायक शामिल हैं। कांग्रेस के 14 और एनसीपी के एक विधायक ने इस सरकार के खिलाफ वोट दिया था।

दल बदल कानून के दायरे में नहीं

दल-बदल विरोधी कानून के तहत कम से कम दो तिहाई विधायक अगर एक साथ पार्टी छोड़ते हैं, तभी उन्हें एक पृथक दल के रूप में मान्यता दी जा सकती है और पार्टी छोड़ने वाले विधायकों की विधानसभा सदस्यता भी बरकरार रह सकती है।

अब भाजपा-कांग्रेस बराबर

आधी रात बाद हुए इस घटनाक्रम से 36 सदस्यीय सदन में भाजपा के विधायकों की संख्या 12 से बढ़कर 14 हो गई है। अब भाजपा के विधायकों की संख्या कांग्रेस के बराबर हो गई है।

 

 

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