कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर युवाओं की आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कि 'असंवैधानिक' संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वापस लिया जाना चाहिए। सीडब्ल्यूसी की शनिवार को हुई बैठक में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों और जेएनयू में हमले के बाद बने हालात, अर्थव्यवस्था में सुस्ती, जम्मू-कश्मीर की स्थिति और पश्चिम एशिया के मौजूदा हालात पर चर्चा की गई। साथ ही जेएनयू और कई अन्य विश्वविद्यालयों में हिंसा की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया।
सीएए विभाजनकारी कानूनः सोनिया गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जेएनयू और अन्य जगहों पर युवाओं और छात्रों पर हमले की घटनाओं के लिए एक विशेषाधिकार आयोग का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने सीएए को विभाजनकारी बताते हुए कहा है कि इसका मकसद भारतीयों को धार्मिक आधार पर बांटना है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के करोड़ों कार्यकर्ता समानता, न्याय और सम्मान के लिए संघर्ष में लोगों के कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे।
संस्थाओं पर हमले की साजिश का आरोप
कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में चार प्रस्ताव भी पास किए गए हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार और पीएम मोदी ने युवाओं के विश्वास को तोड़ा है। उन्होंने छात्रों और युवाओं की आवाज को दबाने के लिए क्रूरता का इस्तेमाल किया। स्वतंत्र और रचनात्मक सोच वाले संस्थाओं पर हमले के लिए साजिश रची गई। कांग्रेस कार्य समिति ने जम्मू-कश्मीर में पाबंदियां हटाने और नागरिक स्वतंत्रताएं बहाल करने की अपील की। बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और कई अन्य नेता शामिल हुए।
जेएनयू को लेकर किया निंदा प्रस्ताव पारित
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पत्रकारों से कहा कि युवाओं और छात्रों के खिलाफ अत्याचार की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि मोदी सरकार ने युवाओं की आवाज दबाने की कोशिश की और अब वह युवाओं का विश्वास खो चुकी है। युवाओं को सुनने की बजाय और उन पर पुलिसिया कार्रवाई और सुनियोजित हमले किये जा रहे हैं।