दिल्ली के राजपथ पर एकत्र स्कूली बच्चों ने योग के बजाय इसे पिकनिक के रुप में मनाया क्योंकि गर्मियों की छुट्टियां होने के कारण बच्चे घर में रहकर बोर हो गए थे। बच्चों की चहलकदमी इस बात को बता रही थी कि योग से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। बस वो तो इसे पिकनिक के रुप में देख रहे हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक योग दिवस को सफल बनाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने जमकर प्रचार-प्रसार किया था और लोगों से अपील की थी लोग इस दिवस को बढ़-चढ़कर मनाए और निरोग्य रहे। लेकिन विभिन्न पार्को में लोग यह कहते पाए कि केवल एक दिन योग करने से कोई निरोग्य नहीं हो जाता।
जिस प्रकार योग कराने वाली संस्थाओं ने इसके प्रचार-प्रसार का जिम्मा लिया और देश भर के विभिन्न पार्कों में योग का आयोजन किया गया था उसे देखकर तो यही लगता था कि यह केवल प्रचार-प्रसार का माध्यम भर है। कई जगहों पर योग शिविर में भाग लेने आए तो केवल औपचारिकता भर निभा रहे थे। इसलिए वह योग कर नहीं रहे थे बल्कि भीड़ का हिस्सा बने हुए थे। दिल्ली के राजपथ पर बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों को योग के लिए बुलाया गया था लेकिन बच्चे मस्ती करने के मूड में नजर आ रहे थे।
देश के कई हिस्सों से जो योग दिवस को लेकर खबरें आ रही थी वह महज राजनीति से प्रेरित लग रही थी क्योंकि योग शिविर को संबोधित करने गए लोगों ने योग दिवस की कम सियासत की बात ज्यादा की। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक योग दिवस के अवसर पर राज्य सरकार की आलोचना करने से भी नहीं चूके। आशय साफ है कि इस योग दिवस को केवल प्रचार-प्रसार का हिस्सा मान लिया गया और राजनीतिक छीटांकशी करने से नहीं चूके। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि योग को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। योग दिवस के अवसर को सफल बनाने के लिए केवल केंद्र सरकार और भाजपाशासित राज्यों ने दिलचस्पी दिखाई अन्य दलों की सरकारों ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं ली। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने तो योग दिवस को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना भी साधा।