रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और उनकी सरकार पर लगातार हमलावर रहे गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया ''झारखंड भाजपा चुनाव में जाने को तैयार होगी, किसी भ्रष्टाचारी पर्टी के साथ सरकार नहीं बना सकती, गठबंधन अपना भ्रष्टाचार करते रहे हमारे कंधे का उपयोग न करे।'' लोग उनके इस ट्वीट का निहितार्थ ढूंढ रहे हैं। निशिकांत दुबे ने यह ट्वीट ऐसे समय में किया जब राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस के दावे को दरकिनार कर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने महुआ माजी को अपना उम्मीदवार बना दिया। और इसके बाद झारखंड कांग्रेस में असंतोष की चिनगारी भड़क गई। महुआ के नामांकन से अलग रहे।
महुआ को उम्मीदार घोषित किये जाने के बाद पैदा हालात को देखते हुए आनन फानन कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय पार्टी आलाकमान से मुलाकात के बाद मंगलवार की सुबह ही कांग्रेस जनों का मिजाज नापने रांची पहुंच गये। उन्होंने पार्टी के नेताओं के साथ-साथ विधायकों और कांग्रेसी मंत्रियों से भी फीडबैक लिया। पार्टी सूत्रों के अनुसार अमूमन विधायकों ने सरकार से अलग होकर समर्थन की बात कही। बाद में अविनाश पांडेय प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के साथ मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से भी मिले और मीडिया से कह दिया कि विधायकों में कोई नाराजगी नहीं है। विधायकों में नाराजगी नहीं है, कांग्रेस प्रभारी के बयान के बाद यह सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस ने हेमन्त के आगे हथियार डाल दिये या कुछ 'दिख' गया।
सवाल यह भी उठ रहा है कि कांग्रेस झामुमो का पिछलग्गू बनी रहेगी या कोई खेला होगा। दिल्ली लौटने के बाद यहां के तापमान से आलाकमान को अवगत करायेंगे उसके बाद कोई तस्वीर साफ होने की आशा की जा रही है। निशिकांत दुबे की टिप्पणी का संकेत राष्ट्रीय कांग्रेस की सचिव रहीं झारखंड के महगामा से विधायक दीपिका पांडेय की टिप्पणी से थोड़ा स्पष्ट होता है। दीपिका पांडेय ने ट्वीट किया कि ''प्रदेश में एक नये तरह की राजनीति चल रही है, आप जिसके साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं उसके साथ ही छल कर रहे हैं। आप पर जांच का दबाव है हम भी जानते हैं लेकिन गठबंधन धर्म के नाम पर अधर्म बर्दाश्त नहीं होगा''
वायरल वीडियो में वे कह रही हैं कि जिस तरह से जेएमएम ने राज्यसभा का प्रत्याशी घोषित किया है। जो मैडम से (हेमन्त सोरेन की) जो बात हुई है उसे तो हम नहीं जानते उसके बावजूद आज राज्य के हर कांग्रेस कार्यकर्ता को इसमें हमारी राष्ट्रीय अध्यक्षा का अपमान दिखता है। गठबंधन धर्म के लक्ष्मण रेखा का छूने का काम किया गया है। एक गठबंधन तो सामने दिख रहा होगा जिसमें झामुमो, कांग्रेस और आरजेडी है लेकिन कहीं न कहीं इस बात की आशंका राज्य में और राजनीतिक लोगों को है कि एक गठबंधन पर्दे के पीछे भय और भष्टाचार से इस राज्य में बना है। जिसका नतीजा आज हमलोगों के सामने आकर खड़ा है। मीडिया के लोग खुद समझदार है जिस तरह एजेंसियों की कार्रवाई फिर उसमें रिलेक्सेशन ये कहीं न कहीं सवाल उठा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि न युवाओं की उम्मीद को पूरा कर पा रहे हैं न भ्रष्टाचार पर जिस तरह से लगाम लगना चाहिए वो लगा पा रहे हैं और जो पिछले सरकार में भ्रष्टतम पदाधिकारी थे उनकी सीएमओ से आज की जो घनिष्टता है वो कहीं न कहीं हमलोगों के ऊपर दाग लगाने का काम करती है। जिस तरह से हमलोगों को काम करना चाहिए था नहीं हुआ। महा गठबंधन होने के बावजूद काम नहीं हुआ। को आर्डिनेशन कमेटी का नहीं होना, कॉमन मीनिमम प्रोग्राम का नहीं होना कहीं न कहीं सवाल उठाता है कि गठबंधन में जो धर्म होना चाहिए, नीति होनी चाहिए वो नीति नहीं है। हेमन्त के करीबी रहे कांग्रेस के पूर्व प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जामताड़ा विधायक डॉ इरफान अंसारी के ट्वीट से अलग दर्द छलक रहा है। एक दिन पहले ही उन्होंने ट्वीट किया ''पत्थर तो हजारों ने मुझे मारे थे मगर जो दिल पर आके लगा वह एक दोस्त ने मारा था।'' हालांकि इरफान अपने पिता फुरकान अंसारी को उम्मीदवार बनाने को लेकर लॉबिंग कर रहे थे। देखना होगा कि कांग्रेस का असंतोष क्या रंग दिखलाता है।