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व्यापमः सीबीआई जांच क्‍या बदलेगी मध्‍य प्रदेश की सियासत

व्यापमं की जांच आखिरकार सीबीआई के पास पहुंच गई। अब तक करीब 45 जानों की लील चुके इस घोटाले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित राज्यपाल तक घिरे हैं। पिछले कुछ दिनों में जिस तेजी से घटनाक्रम बदला है, उससे साफ है कि मध्यप्रदेश की सियासत में भारी उथल-पुथल होनी है।
व्यापमः सीबीआई जांच क्‍या बदलेगी मध्‍य प्रदेश की सियासत

एक के बाद एक मौतों पर गंभीर चिंता जता चुके सुप्रीम कोर्ट ने आज सीबीआई से जानना चाहा कि क्या इस घोटाले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो। सीबीआई के पूर्व प्रमुख जोगिंदर सिंह का मानना है कि ये जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में ही होनी चाहिए। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक ले जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता  दिग्विजय सिंह ने कहा,  ‘सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से देश में न्यायपालिका पर लोगों का विश्वास बढ़ा है। मैं सुप्रीम कोर्ट का अभारी हूं।‘ उन्होंने शिवराज सिंह चौहान पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि अगर उन्हें दो साल पहले ही यह सद्बुद्धि आ गई होती तो उन्हें ये दिन न देखने पड़ते। उन्होंने कि लगातार हो रही मौतों से भय का माहौल बना है। उनका मानना है कि इस घोटाले के संबंध में जो बच्चे जेल में बंद हैं उन्हें सरकारी गवाह बनाना चाहिए, ताकि जो अधिकारी, राजनेता और दलाल के गठजोड़ ने ये सब किया है उन्हें पकड़ा जाना चाहिए और सजा मिलनी चाहिए। केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह 2जी से बड़ी घोटाला है।

 

शिवराज की कोशिश

कल रात जिस तरह से शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा के वरिष्ठ नेता अंनत कुमर से मुलाकात की, उससे साफ है कि केंद्र में वह समर्थन ढूंढ रहे हैं। इस घोटाले से जुड़े लोगों की रहस्यमयी परिस्थइतियों में मौतों से भी राज्य सरकार की साख बेतरह गिरी है और वह चौतरफा घिर गई है। व्यापमं घोटाले से जुड़ी कई सुचियां चर्चा में है, जिनमें किस परीक्षार्थी को किसकी सिफारिश की गई थी, इसका उल्लेख है। सिफारिश करने वालों में मंत्रियों, राजभवन और उमा भारती के अलावा कई अन्य प्रमुख नौकरशाहों के नाम दिखाई दे रहे हैं। ये सारी सूचियां अब सीधे सुप्रीम कोर्ट के जरिए सीबीआई को  सौंपी जाएगी। इसी के साथ एक बार फिर उस पेन-ड्राइव की भी चर्चा है, जिसमें से ये सुचियां हैं। इसे पहले मध्यप्रदेश की एसआईटी ने असली मानने से इंकार कर दिया था। अब इसे भी सुप्रीम कोर्ट के जरिए सीबीआई के सुपुर्द किया जाएगा।

 

सुप्रीम कोर्ट को गुजरात की तर्ज पर देना चाहिए था फैसला

कई कानूनविदों की राय है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में भी गुजरात 2002 नरसंहार के मामले में दिए गए फैसले के अनुरूप ही फैसला सुनाना चाहिए था। गुजरात नरसंहार मामले में सीबीआई की जांच को अपनी निगरानी में रखा था। कानूनविदों का मानना है कि ऐसा ही इस बार भी सुप्रीम कोर्ट को इस बार भी करना चाहिए था, क्योंकि सीबीआई राजनीतिक दबाव में काम करती है।  

 

 

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