तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लामबंद हैं। हरियाणा के किसानों के आक्रोश के मद्देनजर खट्टर सरकार पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार का समर्थन कर रही जननायक जनता पार्टी (जजपा) और कई निर्दलीय विधायक इन कानूनों के खिलाफ हैं। वह किसानों की कानून वापस लेने की मांग के साथ हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। इस बीच कांग्रेस की नजर हरियाणा पर है। वह इस मौके को भुनाने के प्रयास में है और निर्दलीयों तथा जेजेपी को साधने की कवायद कर रही है। हालांकि बीजेपी जेजेपी सरकार पर खतरे की बात से इनकार कर रही है। मगर कर्नाटक में बीजेपी ने जिस तरह कांग्रेस और जेडीएस सरकार को सत्ता से बेदखल किया था उसका बदला अब कांग्रेस हरियाणा में लेना चाह रही है।
हिंदुस्तान के मुताबिक, हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार की राह आसान नहीं है। जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर दुष्यंत चौटाला ने इस मुद्दे पर कठोर रुख नहीं अपनाया, तो कई विधायक उनके विरुद्ध जा सकते हैं। क्योंकि जजपा को ग्रामीण क्षेत्रों से समर्थन मिला था। ऐसे में सरकार में बने रहने के लिए दुष्यंत चौटाला किसानों के हितों की अनदेखी करते हैं, तो उन्हें अपने विधायकों को एकजुट रखना मु्श्किल होगा।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जजपा के कुछ विधायक अपनी पार्टी के विरुद्ध रुख अपनाते हैं, तो निर्दलीय विधायक भी पाला बदल सकते हैं। हरियाणा में मनोहर लाल सरकार को जजपा के 10 और 7 निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। इनेलो के नेता अभय सिंह चौटाला के किसानों के समर्थन में विधानसभा से इस्तीफा देने की घोषणा से भी उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर दबाव बढ़ा है। ऐसे में पार्टी की निगाह जजपा पर है।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र्र सिंह हुड्डा राज्य सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की घोषणा कर चुके हैं। कांग्रेस का मानना है कि दुष्यंत चौटाला सरकार का साथ नहीं छोड़ेंगे, ऐसे में उनके विधायक बगावत की राह अपना सकते हैं।