लोकसभा में सिटीजन अमेंडमेंट बिल सोमवार को पेश किया गया जिसे लेकर घमासान भी देखने को मिला। बिल पर चर्चा के दौरान असदुद्दीन औवेसी ने कहा कि इससे एक और बंटवारा होने वाला है और यह संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा, ''महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में नागरिकता कार्ड को फाड़ा था और मैं आज इस बिल को फाड़ता हूं। इसके बाद उन्होंने बिल की कॉपी फाड़ दी।''
आईएमआईएम के प्रमुख औवैसी ने आरोप लगाया कि यह सरकार मुसलमानों के ‘राष्ट्रविहीन’ बनाने की साजिश कर रही है। उन्होंने बिल के विरोध में कहा कि इससे देश को खतरा है। बिल में धर्म के आधार पर लोगों का बंटवारा किया गया है। उन्होंने कहा कि यह बिल हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करता है। यह कानून हिटलर के कानून से भी बदतर है।
किया सदन का अपमानः रविशंकर प्रसाद
इसके बाद सदन में सत्ता पक्ष के सांसदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ओवैसी संसद के वरिष्ठ सदस्य हैं और उन्होंने जो किया है वो सदन का अपमान है।
घुसपैठियों और शरणार्थी में करना होगा फर्कः अमित शाह
इससे पहले चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि घुसपैठियों और शरणार्थियों में फर्क करना होगा। उन्होंने कहा कि राशन कार्ड या किसी दस्तावेज के बिना भी शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी। सिटीजन बिल किसी के अधिकारों को छीनने के लिए नहीं, बल्कि अधिकार देने के लिए है।
विपक्षी दलों कराया विरोध दर्ज
सिटीजन बिल पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने विरोध दर्ज कराया। सभी दलों ने कहा कि बिल पर पुनर्विचार की जरूरत है। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा, ‘‘ यह बिल असंवैधानिक है, संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। जिन आदर्शों को लेकर बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने संविधान की रचना की थी, यह उसके भी खिलाफ है।’’ उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून में आठ बार संशोधन किया गया है लेकिन जितनी उत्तेजना इस बार है, उतनी कभी नहीं थी। तिवारी ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 किसी भी व्यक्ति को भारत के कानून के समक्ष बराबरी की नजर से देखने की बात कहता है. लेकिन यह बिल बराबरी के सिद्धांत के खिलाफ है।
प्रस्ताव पेश करने पर हुई वोटिंग
गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार सुबह लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया। भारी हंगामे के बीच उन्होंने इसे सदन में रखा जिसका विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया। बिल को सदन में पेश किए जाने पर वोटिंग पर भी हुई जिसके बाद इस पर चर्चा शुरू हुई। इस वोटिंग में पक्ष में 293 और विपक्ष में 82 वोट पड़े।