शुक्रवार को राज्य विधानसभा से बजट पर मतदान होना था मगर विधानसभा अध्यक्ष ने मतदान की विपक्ष की मांग ठुकरा दी और ध्वनिमत से बजट को पारित घोषित कर दिया। इसके बाद विधानसभा में हंगामा मच गया जिसके कारण सदन की कार्रवाई 28 मार्च तक स्थगित हो गई। इससे गुस्साए भाजपा सदस्यों ने राज्यपाल से मिलकर बहुमत का दावा किया और हरीश रावत की सरकार को बर्खास्त कर भाजपा को सरकार बनाने का न्योता देने की मांग की। देर रात आ रही खबरों के अनुसार हरीश रावत सरकार में मंत्री रहे हरक सिंह रावत ने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया है। ये सभी विधायक पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के समर्थक बताए जा रहे हैं जो कि हरीश रावत को मुख्यमंत्री बनाए जाने के समय से ही नाराज हैं।
बजट को लेकर राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति बनती दिख रही है। नियम के अनुसार अगर विपक्ष बजट पर मतविभाजन की मांग करता है तो बजट ध्वनिमत से पारित नहीं किया जा सकता। उस पर वोटिंग करानी ही होती है मगर इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में सवाल है कि क्या बजट को पारित माना जाएगा। विधानसभा के डिप्टी स्पीकर एपी मैखुरी का कहना है कि बजट विधि पूर्वक पारित हुआ है। राज्य की संसदीय कार्यमंत्री इंदिरा हृदयेश ने भी मीडिया के सामने दावा किया है कि बजट नियम पूर्वक पारित हुआ है और सरकार पूर्ण बहुमत में है। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा की कार्रवाई का पूरा रिकार्ड शनिवार को राज्यपाल के सामने रखा जाएगा।
फिलहाल 70 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस अपने 36 और बीएसपी तथा अन्य के 6 विधायकों के साथ 42 सदस्यों के समर्थन से सरकार चला रही है जबकि 28 विधायकों के साथ भाजपा वहां विपक्ष में है। कांग्रेस के इन 9 विधायकों के अलग होने और भाजपा को समर्थन देने से भाजपा समर्थक विधायकों की संख्या 37 हो जाएगी। अगर दूसरे छोटे दल साथ आए तो कांग्रेस सरकार का गिरना तय हो जाएगा। वैसे खुद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मीडिया से बातचीत में अपनी सरकार पर किसी तरह के खतरे से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी सरकार को अस्थिर किया जाता है तो राज्य की जनता इसका जवाब देगी। उत्तराखंड में अगले वर्ष के आरंभ में उत्तर प्रदेश और पंजाब के साथ चुनाव होना है।