नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब बड़ा विषय बन गया है। विभिन्न विपक्षी दलों ने यह कहकर कार्यक्रम का बहिष्कार किया है कि प्रधानमंत्री मोदी की बजाय राष्ट्रपति मुर्मू को इसका उद्घाटन करना चाहिए। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर राष्ट्रपति का अपमान करने का आरोप भी लगाया है। अब कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि भाजपा के ढोंगियों का पर्दाफाश हो गया है।
दरअसल, जयराम रमेश ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि नई संसद को व्हाट्सएप युनिवर्सिटी से मिले ज्ञान से दूषित किया जा रहा है। भाजपा-आरएसएस बिना सबूत के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है। उन्होंने कहा, सेंगोल के बारे में अधिक जानकारी नहीं होने के कारण भाजपा के ढोंगियों का एक बार फिर से पर्दाफाश हो गया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, "तत्कालीन मद्रास प्रांत में एक धार्मिक प्रतिष्ठान द्वारा कल्पना किए जाने और मद्रास शहर में तैयार किए जाने वाले एक राजसी राजदंड को वास्तव में अगस्त 1947 में नेहरू को प्रस्तुत किया गया था।" जयराम रमेश ने कहा, "माउंटबेटन, राजाजी और नेहरू द्वारा इस राजदंड को भारत में ब्रिटिश सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में वर्णित करने का कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं है।"
"इस आशय के सभी दावे सादे और सरल हैं...बोगस। यह व्हाट्सएप में फैल गया, और अब मीडिया में भी।" उन्होंने कहा, "राजदंड को बाद में इलाहाबाद संग्रहालय में प्रदर्शन के लिए रखा गया था। 14 दिसंबर, 1947 को नेहरू ने वहां जो कुछ कहा, वह सार्वजनिक रिकॉर्ड का मामला है, भले ही लेबल कुछ भी कहें।"
"राजदंड का इस्तेमाल अब प्रधानमंत्री और उनके ढोल-नगाड़े तमिलनाडु में अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर रहे हैं। यह इस ब्रिगेड की विशेषता है जो अपने विकृत लक्ष्यों के अनुसार तथ्यों को उलझाती है। असली सवाल यह है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नई संसद का उद्घाटन करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है?" बता दें कि 28 मई को उद्घाटन होना है, जिसे लेकर पक्ष विपक्ष अपनी बात को ऊंचा रखने के लिए लगातार बयानबाजी कर रहे हैं।