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यह बिल्कुल शर्मनाक है: अमित शाह द्वारा मणिपुर वायरल वीडियो की टाइमिंग के ज़िक्र पर जयराम रमेश

मणिपुर हिंसा को लेकर लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव की बहस के दूसरे दिन बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री...
यह बिल्कुल शर्मनाक है: अमित शाह द्वारा मणिपुर वायरल वीडियो की टाइमिंग के ज़िक्र पर जयराम रमेश

मणिपुर हिंसा को लेकर लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव की बहस के दूसरे दिन बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के वायरल वीडियो पर सवाल खड़ा किया। अमित शाह का कहना था कि किसी के पास वीडियो था तो पहले दे देना चाहिए था। अमित शाह द्वारा वीडियो की टाइमिंग का जिक्र किए जाने पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह शर्मनाक है कि वह ऐसे सवाल उठा रहे हैं।

दरअसल, अमित शाह ने मणिपुर की वायरल वीडियो के बाद अपने भाषण के दौरान इसकी टाइमिंग का जिक्र किया था। अब इसी बात पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर उनपर निशाना साधा और कहा, "यह बिल्कुल शर्मनाक है कि गृह मंत्री मणिपुर की भयावह वीडियो के सामने आने की "टाइमिंग" पर सवाल उठा रहे हैं।"

"सदन में यह दावा करके कि खुफिया एजेंसियों को ऐसे किसी वीडियो के बारे में जानकारी नहीं थी, वह भारत के गृह मंत्री के रूप में सिर्फ अपनी अक्षमता को स्वीकार कर रहे हैं। वह अनजाने में ही सही, मणिपुर के मुख्यमंत्री की अयोग्यता को भी स्वीकार कर रहे हैं।"

इससे पहले अविश्वास प्रस्ताव पर सदन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और समाज के लिए शर्म की बात है। लेकिन ये वीडियो (मणिपुर वायरल वीडियो) इस संसद सत्र के शुरू होने से पहले क्यों आया? अगर यह वीडियो किसी के पास था तो उसे इसे डीजीपी को देना चाहिए था और उसी दिन (4 मई) ही कार्रवाई हो जाती।"

"हमने उन सभी नौ लोगों की पहचान कर ली है और उन्हें गिरफ्तार कर लिया है...मैं वहां (मणिपुर) तीन दिनों तक था, और इस अवधि के दौरान हमने कई निर्णय लिए। राज्य में सामान्य स्थिति स्थापित करने के लिए इलाके में अर्धसैनिक बल तैनात किया गया है।"

गौरतलब है कि मॉनसून सत्र से पहले एक वीडियो मणिपुर से वायरल हुआ था, जिसमें दो महिलाओं को एक भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर घुमाया जा रहा था। इसके बाद से ही देशभर में हंगामा खड़ा हो गया था।

बहरहाल, 3 मई को मणिपुर में मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था। इस दौरान जातीय संघर्ष भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई सौ घायल हो गए।

मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी - नागा और कुकी - 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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