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"यह हमारा है, अपना है": महिला आरक्षण विधेयक पर सोनिया गांधी

संसद के विशेष सत्र के बीच महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा जारी है। ऐसे में दूसरे दिन लोकसभा और राज्यसभा की...

संसद के विशेष सत्र के बीच महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा जारी है। ऐसे में दूसरे दिन लोकसभा और राज्यसभा की ऐतिहासिक संयुक्त बैठक के लिए संसद में प्रवेश करते समय कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को कहा कि यह हमारा और अपना है, इसके बारे में क्या कहना।

<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr"><a href="https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw">#WATCH</a> | On the Women&#39;s Reservation Bill, Congress Parliamentary Party Chairperson Sonia Gandhi says &quot;It is ours, Apna Hai&quot; <a href="https://t.co/PLrkKs0wQo">pic.twitter.com/PLrkKs0wQo</a></p>&mdash; ANI (@ANI) <a href="https://twitter.com/ANI/status/1703980707251736802?ref_src=twsrc%5Etfw">September 19, 2023</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>

गौरतलब है कि आज भारत के लिए ऐतिहासिक दिन है क्योंकि आज दोनों सदन नवनिर्मित संसद भवन में अपना पहला सत्र बुला रहे हैं। न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत कोटा आरक्षित करने का प्रावधान है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक में महिला आरक्षण विधेयक (डब्ल्यूआरबी) को मंजूरी दे दी।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "हम चाहते हैं कि महिला आरक्षण विधेयक जल्द से जल्द लाया और पारित किया जाए। इसकी मांग की शुरुआत यूपीए और हमारी नेता सोनिया गांधी से ही शुरू हुई थी। अधिक समय लग गया, लेकिनअगर इसे पेश किया जाता है तो हमें खुशी होगी।"

सोमवार को कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा था, "कांग्रेस पार्टी लंबे समय से महिला आरक्षण लागू करने की मांग कर रही है। हम कथित तौर पर आने वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत करते हैं और विधेयक के विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।"

हालांकि उन्होंने आगे यह भी कहा कि विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर गहन चर्चा की जा सकती थी और पर्दे के पीछे की राजनीति के बजाय आम सहमति बनाई जा सकती थी। बता दें कि आरक्षित सीटों का आवंटन संसद द्वारा निर्धारित प्राधिकारी द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

वर्तमान में, लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या का एक तिहाई उन समूहों की महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 वर्ष बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा। विदित हो कि 2010 में राज्यसभा ने उसे पारित किया था लेकिन बिल लोकसभा से पारित नहीं हो सका।

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