रांची। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अभी देर है मगर झारखंड में ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीति तेज हो गई है। ओबीसी का 50 प्रतिशत से अधिक वोट होने के कारण सभी पार्टियां खुद को हिमायती बताने में जुट गई हैं। हालांकि प्रदेश में अभी ओबीसी को मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग पहले ही ओबीसी को आरक्षण का कोटा बढ़ाने की सिफारिश हेमन्त सरकार से कर चुका है।
हेमन्त सरकार में शामिल कांग्रेस पार्टी प्रदेश में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण को लेकर तो मंगलवार को पूरे प्रदेश में धरना पर बैठी। राजधानी रांची में राजभवन के सामने कांग्रेस के विशाल धरना में प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, हेमन्त कैबिनेट में शामिल कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से लेकर बड़ी संख्या में विधायक और दूसरे बड़े नेता शामिल हुए। सरकार में शामिल रहने के बावजूद धरना के सवाल पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर कहते हैं कि ओबीसी के बीच जागरण अभियान का यह हिस्सा है।
प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के निर्देश पर सदन से सड़क तक हम इस मसले को जोरदार तरीके से उठा रहे हैं। हम सरकार में शामिल हैं, सरकार से बातें हुई हैं। जल्द ही ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। धरना का आयोजन कांग्रेस के ओबीसी विभाग ने किया है। ओबीसी विभाग के अध्यक्ष अभिलाषा साहू कहते हैं कि सभी जिला मुख्यालयों में इस मुद्दे पर धरना चल रहा है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस के साथ राजद गठबंधन की प्रदेश में सरकार है। और तीनों पार्टियां ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण की हिमायती हैं। कांग्रेस पहले से ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण को लेकर सरकार पर लगातार दबाव बनाये हुए हैं। बैठकों में चर्चाएं हो रही हैं। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजद के तेजस्वी एक दिन पहले झारखंड दौरे पर थे। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के अतिरिक्त उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के साथ भी बात की। कांग्रेस के साथ विमर्श में ओबीसी एक बड़ा मुद्दा था। सवाल क्रेडिट का है, अन्यथा करीब पौने दो साल से हेमन्त सोरेन की सरकार है। सदन से इसे आसानी से पास कराया जा सकता था।
जानकार मानते हैं कि झारखंड में भाजपा ने पहले ओबीसी खेल शुरू किया। नये राज्यपाल रमेश बैस की तैनाती के बाद कोडरमा से सांसद अन्नपूर्णा देवी को केंद्र में मंत्री बना दिया। अन्नपूर्णा देवी भाजपा में आने से पहले राजद की प्रदेश अध्यक्ष थीं। जानकार मानते हैं कि आदिवासी और अल्पसंख्यक वोटों को लेकर आश्वस्त हेमन्त सोरेन चाहते हैं कि ओबीसी राजनीति में उनके वोट न फिसलें। पिछले साल के अंत में ही उन्होंने संतालपरगना में एक सभा के दौरान ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण और जनजाति को आरक्षण का कोटा बढ़ाने का एलान किया था। पिछड़ों की लड़ाई लड़ने वाले लालू प्रसाद की पार्टी राजद की ओर से तेजसवी अगर अभियान चलाते हैं तो सत्तारूढ़ दल को इससे राहत मिल सकती है। तेजस्वी ने अक्टूबर से झारखंड में ''तेजस्वी आपके द्वार'' कार्यक्रम के तहत पार्टी में ऊर्जा भरने का फैसला किया है। दूसरी तरफ भाजपा भी ओबीसी को लेकर आक्रामक है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश कहते हैं कि केंद्र ने पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। केंद्र की तरह प्रदेश की सरकर झारखंड में भी यह लागू करे। सत्ता में शामिल लोग ओबीसी के लिए सिर्फ घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। सोमवार को रांची के मोरहाबादी मैदान में पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा ने एक दिनी धरना देकर इस दलील के साथ पिछड़ों को 36 प्रतिशत आरक्षण की मांग की कि प्रदेश में उनकी आबादी 56 प्रतिशत है।