पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था को उसकी क्षमता के हिसाब से आगे नहीं बढ़ाने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भारत की ग्रोथ बेरोजगारी दूर करने के बजाय रोजगार खत्म करने की वजह बन रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने एक दीक्षांत समारोह में कहा कि ग्रामीणों पर कर्ज ज्यादा होने और शहरी अव्यवस्था के चलते युवाओं में असंतोष पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘कृषि क्षेत्र का बढ़ता संकट, रोजगार के कम होते अवसर, पर्यावरण प्रदूषण और विभाजनकारी ताकतों के सक्रिय रहने से देश के सामने मुश्किलें आ रही हैं।'
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों की आत्महत्याएं और उनके लगातार विरोध प्रदर्शन भारतीय अर्थव्यवस्था के असंतुलित विकास को दर्शाते हैं। इनका गहराई से विश्लेषण करने राजनीतिक रूप से समाधान करने की जरूरत है।
'नोटबंदी और जीएसटी ने तोड़ी कमर'
उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास की रफ्तार नहीं पकड़ने से रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा नहीं हो रहे हैं।नोटबंदी और जीएसटी को गलत तरह से लागू करने से भारतीय अर्थव्यवस्था को करारा झटका लगा है। सरकार को इन कदमों से छोटे और असंगठित कारोबार की कमर टूट गई है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्र के विकास के लिए सुनियोजित नीति और क्रियान्वयन के बेहतर रणनीति जरूरी है।
'बदलती दुनिया का मुकाबला कैसे करेंगे'
उन्होंने कहा कि रोजगारोन्मुख उद्योग के संवर्धन के प्रयासों में जो सबसे बड़ी चिंता की बात है वह उद्योगों को जिस कौशल की जरूरत है उसके और स्नातक की पढ़ाई कर निकलने वाले छात्रों के पास जो कौशल है उसके बीच रहने वाला अंतर बढ़ा है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम तेजी से बदलती दुनिया में रह रहे हैं। एक तरफ हम तेजी से दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ रहे हैं और विश्व बाजारों में पहुंच रहे हैं और दूसरी तरफ घरेलू स्तर पर हमारे सामने व्यापक आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां खड़ी हैं।'