वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि वह मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कोर्ट में नहीं जाएंगे।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस से कल कपिल सिब्बल ने कहा, “मैं कल(सोमवार) से चीफ जस्टिस की कोर्ट में नहीं जाऊंगा, जब तक वह रिटायर नहीं हो जाते, यही मेरे प्रफेशन के उच्च आदर्शों के अनुरूप है।”
सिब्बल ने कहा कि उनके साथ 63 अन्य लोगों ने भी जस्टिस दीपक मिश्रा को हटाने की मांग की है। अब वे सोमवार से सीजेआई की अदालत में नहीं जाएंगे।
गौरतलब है कि सिब्बल लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं। सिब्बल ने कहा कि अगर सीजेआई दीपक मिश्रा रिटायरमेंट तक सुनवाई करेंगे तो यह मानकों के विरुद्ध होगा।
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू द्वारा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करने से पहले सिब्बल का यह बयान आया था।
प्रस्ताव खारिज होने के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति के इस फैसले पर बड़ी हैरानी जताई है। इससे पहले कांग्रेस राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी कहा था कि महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने का उपराष्ट्रपति के पास कोई कारण नहीं है और उन्हें उम्मीद है कि वह ऐसा नहीं करेंगे।
इधर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए उपराष्ट्रपति पर निशाना साधा है। सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि महाभियोग लाने के लिए 50 सांसदों की जरूरत होती है, जो हमने पूरा किया। राज्यसभा चेयरमैन प्रस्ताव की मेरिट तय नहीं कर सकते हैं। अब ये लड़ाई सीधे तौर पर लोकतंत्र को बचाने वाले और लोकतंत्र को खारिज करने वालों के बीच में है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने ट्वीट में लिखा कि प्रस्ताव आने के कुछ ही समय में वित्त मंत्री ने इसे रिवेंज पेटीशन बताया था जोकि राज्यसभा चेयरमैन के फैसले को प्रभावित करने वाला बयान था। राज्यसभा चेयरमैन प्रशासनिक शक्ति के अभाव में इस तरह का फैसला नहीं ले सकते हैं।
वहीं, इस दौरान सुरजेवाला ने एम. कृष्णा स्वामी केस का हवाला देते हुए लिखा कि अगर सभी आरोप जांच से पहले ही खारिज हो जाएं तो संविधान और जज इन्क्वाएरी एक्ट का कोई मतलब नहीं रहता है।