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सतह पर आया माकपा का कलह

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की केरल इकाई के सचिव पिनराई विजयन और पार्टी के वरिष्ठ नेता वी.एस. अच्युतानंदन के बीच का मतभेद एक बार फिर सामने आ गया है।
सतह पर आया माकपा का कलह

अच्युतानंदन ने एक पत्र भेजकर प्रदेश नेतृत्व की कार्यप्रणाली की आलोचना की तो पार्टी के प्रदेश सचिवालय ने इसके लिए एक प्रस्ताव पारित कर अच्युतानंदन की आलोचना की और इस प्रस्ताव की जानकारी मीडिया के जरिये सार्वजनिक की गई।

पार्टी के मुद्दे को मीडिया में उछालने पर अब कुछ नेता सवाल खड़े कर रहे हैं। हालांकि माकपा की केरल इकाई ने प्रस्ताव की जानकारी मीडिया को देने के अपने फैसले को उचित ठहराया है।

अच्युतानंदन ने पार्टी की प्रदेश इकाई की कार्यप्रणाली में गंभीर खामियां बताते हुए केंद्रीय नेतृत्व को कड़े शब्दों में पत्र लिखा था जिस पर प्रस्ताव में कड़ी आपत्ति जताई गई। प्रस्ताव में अच्युतानंदन पर गुटबाजी करने का आरोप लगाया गया और कहा गया कि उनके हालिया रवैये से केवल पार्टी विरोधी सोच का पता चलता है। अच्युतानंदन ने प्रस्ताव पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि प्रदेश नेतृत्व पर उनके द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देना पोलित ब्यूरो का काम था।

माकपा महासचिव प्रकाश करात ने शुक्रवार के सत्र के अपने उद्घाटन संबोधन में पार्टी के प्रदेश नेतृत्व और अच्युतानंदन के बीच खींचतान का उल्लेख करने से परहेज किया था।

शुक्रवार की शाम अलपुझा में पार्टी के प्रदेश सम्मेलन से इतर माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य कोडियारी बालाकृष्णन ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी कैडरों के बीच भ्रम से बचने के लिए प्रदेश सचिव पिनराई विजयन ने मीडिया के जरिए प्रस्ताव को प्रचारित किया। उन्होंने कहा, पार्टी को दिए गए अच्युतानंदन के नोट पर भ्रम दूर करना पार्टी का दायित्व है। यह जिम्मेदारी थी जो पार्टी सचिवालय ने निभाई। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है।

बालाकृष्णन ने कहा कि मामले को देखना और इस पर निर्णय लेना पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति की जिम्मेदारी थी। प्रदेश सचिवालय की बैठक के अवसर पर स्वीकार किए गए प्रस्ताव का खुलासा प्रदेश सचिव पिनराई विजयन ने संवाददाता सम्मेलन में किया था।

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