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हरियाणा : सुभाष चंद्रा की कंपनी का जुर्माना माफ किए जाने से अभिमन्यु नाराज

कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस वे को लेकर कैबिनेट मीटिंग में बवाल हुआ। सांसद सुभाष चंद्रा की कंपनी पर लगने वाला जुर्माना माफ किए जाने का वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने विरोध किया। इसके बाद कैप्टन अभिमन्यु बीच में ही कैबिनेट मीटिंग छोड़कर चले गए। इस बीच, सरकार ने सांसद सुभाष चंद्रा की कंपनी एस्सेल इन्फ्रा प्रोजेक्ट को 6 महीने का एक्सटेंशन देने का फैसला कर लिया है। लेकिन प्रोजेक्ट में हुई देरी के लिए कंपनी को 10 के बजाय 20 लाख रुपए प्रति सप्ताह और 9.25 प्रतिशत के बजाय 11 प्रतिशत की दर से ब्याज भी चुकाना होगा।
हरियाणा : सुभाष चंद्रा की कंपनी का जुर्माना माफ किए जाने से अभिमन्यु नाराज

कंपनी अब अगले 5 महीने में इस प्रोजेक्ट के दूसरे भाग का काम शुरू कर सकती है। इस तरह से भाजपा सरकार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट अब करीब 10 महीने लेट हो गया है। जबकि मौजूदा सरकार अब तक इस प्रोजेक्ट में देरी के लिए कांग्रेस सरकार को कोस रही थी। साथ ही दावा किया जा रहा था कि यह प्रोजेक्ट रिकॉर्ड टाइम 400 दिन में पूरा होगा।

वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु चंडीगढ़ में कैबिनेट मीटिंग के बीच में ही जब बाहर निकले तो वे काफी नाराजगी में थे। मीडिया कर्मियों के रोकने के बावजूद वे बिना बात किए निकल गए। सूत्रों का कहना है कि कैप्टन अभिमन्यु सांसद सुभाष चंद्रा की कंपनी का जुर्माना माफ करने और एक्सटेंशन दिए जाने के पक्ष में नहीं थे। वे चाहते थे कि एग्रीमेंट के मुताबिक कंपनी ने दूसरे फेज का काम टाइम पर शुरू नहीं किया है, इसलिए उसका एग्रीमेंट खत्म करके यह काम दूसरी किसी कंपनी को दिया जाना चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक एस्सेल इन्फ्रा प्रोजेक्ट कंपनी के साथ केएमपी प्रोजेक्ट का सितंबर, 2015 में एग्रीमेंट हुआ था। बीओटी आधार पर बनने वाले इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के उद्देश्य से धन जुटाने के लिए 6 महीने यानी 180 दिन का समय देना तय था। यह अवधि मार्च, 2016 में पूरी हो गई थी। इसके बाद कंपनी को विशेष परिस्थितियों में 60 दिन की छूट और दी जा सकती थी। कंपनी को अप्रैल,2016 तक छूट दी गई, उसके बाद उसे काम शुरू करना था। लेकिन कंपनी अभी तक दूसरे चरण पलवल से कुंडली तक का काम शुरू नहीं कर पाई है। एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक इस देरी के लिए कंपनी पर 10 लाख रुपए प्रति सप्ताह की दर से जुर्माना और उस राशि पर ब्याज देय था।

 

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