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जानिए, ये 51 सीटें कैसे मोदी का खेल बना-बिगाड़ सकती हैं

लोकसभा चुनाव का पांचवां चरण बेहद अहम माना जा रहा है। हालांकि इस चरण में 51 सीटों पर ही मुकाबला है लेकिन...
जानिए, ये 51 सीटें कैसे मोदी का खेल बना-बिगाड़ सकती हैं

लोकसभा चुनाव का पांचवां चरण बेहद अहम माना जा रहा है। हालांकि इस चरण में 51 सीटों पर ही मुकाबला है लेकिन भाजपा  के लिए यह पूरे नतीजों को प्रभावित करने वाला है। दरअसल, 2014 के आम चुनाव में भाजपा ने इन 51 सीटों में से 40 पर जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस को केवल दो सीटों पर कामयाबी मिली थी। ऐसे में मोदी सरकार के लिए यहां पूरी प्रतिष्ठा दांव पर है।

उत्तरप्रदेश में 14 सीटों, राजस्थान में 12 सीटों, पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश में 7-7 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। जबकि बिहार में 5 और झारखंड में 4 सीटों के लिए मतदान जारी है। जम्मू-कश्मीर के लद्दाख सीट और अनंतनाग सीट के लिए पुलवामा और शोपियां जिलों में मतदान चल रहा है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों से फिसलकर सत्ता कांग्रेस के हाथों में चली गई, ऐसे में यहां भाजपा के लिए आर या पार की लड़ाई है। इन सीटों में अधिकतर पर भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है।

इन सीटों पर ये थी भाजपा की स्थिति

साल 2014 के चुनावों में इन 51 सीटों में से 40 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कामयाबी पाई थी। राजस्थान की 25 में से 12, उत्तरप्रदेश की 14 सीटों में से 12, मध्य प्रदेश में पूरी सात, बिहार में पांच में से तीन, झारखंड में सभी चारों और जम्मू एवं कश्मीर की दो में से एक सीट भाजपा के खाते में गई थी।

उत्तर प्रदेश

यीपी में 14 सीटों में बीजेपी ने 2014 में 12 सीटें जीती थीं। केवल रायबरेली और अमेठी में ही कांग्रेस को कामयाबी मिली थी।

लेकिन इस बार माना जा रहा है कि कांग्रेस रायबरेली और अमेठी में ही नहीं बल्कि धौरहरा, बारांबकी, फैजाबाद और सीतापुर में भी भाजपा को चुनौती दे रही है। अमेठी में राहुल गांधी के सामने स्मृति इरानी है तो रायबरेली में सोनिया के सहयोगी रह चुके दिनेश सिंह उनके खिलाफ बीजेपी की ओर से उम्मीदवार है। इधर, लखनऊ में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा उतरी हैं। इसके अलावा धौरहरा सीट पर कांग्रेस के जितिन प्रसाद और बीजेपी की रेखा वर्मा के बीच सीधा मुकाबला है।

राजस्थान और मध्य प्रदेश

पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा राजस्थान और मध्य प्रदेश में हार गई थी और कांग्रेस ने यहां सरकार बनाने में कामयाबी पाई थी।

राजस्थान की बात करें तो पूर्वी हिस्से में सभी 12 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं जिसे उप मुख्यमंत्री सीएम सचिन पायलट का गढ़ माना जाता है। 2014 में भाजपा ने राजस्थान की 25 में से 12 सीटों पर जीत पाई थी। इसके अंदर राजस्थान की 96 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें कांग्रेस ने 57 पर जीत दर्ज की थी। इस जीत से कांग्रेस उत्साहित है लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को दोहराने के लिए भाजपा भी पूरी ताकत लगा रही है।

वहींमध्य प्रदेश में 7 सीटों पर मतदान हो रहा है, 2014 में इन सभी सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। प्रदेश में इस बार कांग्रेस अपना कृषि ऋण माफी योजना पर लड़ रही है जो विधानसभा चुनाव में उसके लिए भारी फायदेमंद साबित हुई थी। कांग्रेस को भरोसा है कि कर्जमाफी योजना इस बार भी उसके लिए गेमचेंजर साबितल होगी।

पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल में सभी सात सीटों पर तृणमूल कांग्रेस, भाजपा, कांग्रेस और माकपा के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला माना जा रहा है। 2014 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की थी। फिलहाल पश्चिम बंगाल में हिंसा के चलते माहौल गर्म है। वहीं माना जा रहा है कि हावड़ा, बोनगांव, सेरामपोर, हुगली, उलुबेरिया और आरामबाग में चीजें अब बदल गई हैं और तृणमूल आज इनमें से ज्यादातर निर्वाचन क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना कर रही है।

झारखंड

झारखंड में तीन सीटों पर (कोडरमा, रांची और खूंटी) बीजेपी ने नए चेहरों को उतारा है। केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा हजारीबाग से फिर से चुनाव मैदान में हैं। बीजेपी ने कोडरमा से मौजूदा सांसद रविंद्र कुमार राय के बदले आरजेडी छोड़कर पार्टी में शामिल हुईं अन्नापूर्णा देवी को टिकट दिया है। रांची में पार्टी ने संजय सेठ पर भरोसा जताया है जबकि खूंटी में बीजेपी ने पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा को प्रत्याशी बनाया है।

बिहार

बिहार की पांच सीटों में से तीन पर एनडीए ने जीत हासिल की थी।इन पांच सीटों में से हाजीपुर जहां लोक जनशक्ति पार्टी का गढ़ है वहीं सारण राजद का गढ़ माना जाता है। तीन अन्य संसदीय क्षेत्र हैं मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और मधुबनी।

लेकिन इस बार बिहार में एनडीए को सभी 5 सीटों पर विपक्ष के महागठबंधन से चुनौती मिल रही है। हाजीपुर से रामविलास पासवान के बदले उनके छोटे भाई पशुपति कुमार पारस चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला आरजेडी के शिव चंद्र राम से है। जबकि मधुबनी में महागठबंधन से बद्री पूर्वे हैं उनके खिलाफ बीजेपी के अशोक से है। जबकि कांग्रेस से निष्कासित शकील अहमद यहां से निर्दलीय मैदान पर हैं। मुजफ्फपुर से भाजपा सांसद अजय निषाद के सामने राजभूषण सी निषाद है। सीतामढ़ी में सुनील कुमार पिंटू का मुकाबला अर्जुन रॉय से है।

जम्मू-कश्मीर

2014 में जम्मू-कश्मीर की दो में से एक सीट भाजपा के खाते में गई थी। लद्दाख में चार उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा से जहां सेरिंग नामग्याल मैदान में हैं वहीं कांग्रेस से रिगजिन स्पालबार हैं और दो प्रत्याशी निर्दलीय हैं।

 

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