कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा के बाद विधायक दल के नेता के चयन के लिए रविवार 11 बजे होने वाली विधायकों की बैठक रद्द कर दी गई है। अब नए मुख्यमंत्री का ऐलान सीधे कांग्रेस हाईकमान करेगा। सीएम की दौड़ में सुनील जाखड़,सुखजिंदर रंधावा और प्रताप बाजवा के बीच अब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना नाम भी उछाल दिया है। सूत्रों मुताबिक सिद्धू ने हाईकमान को मुख्यमंत्री बनने की अपनी मंशा जाहिर कर दी है। शनिवार देर सांय तक चली विधायकों दल की बैठक के बाद देर रात सिद्धू ने कई विधायकों से मुलाकात कर उन्हें सीएम चुने जाने की लॉबिंग तेज कर दी है। सिद्धू ने विधायकों से साफ कहा कि उन्हें सीएम बनाया जाए सरकार विधायकों के मुताबिक चलेगी। इधर चंडीगढ़ के एक होटल में प्रदेश प्रभारी हरीश रावत व पर्यवेक्षक अजय माकन और हरीश चौधरी से बैठक करने वाले विधायकों का आना जाना जारी है।
इधर सीएम की दौड़ में सुनील जाखड़ के घर सुबह से ही विधायकों का तांता लगा हुआ है वहीं सुखजिंदर रंधावा के घर भी विधायकों की बैठक जारी है। माना जा रहा है कि हिंदु चेहरे के तौर पर जाखड़ मुख्यमंत्री हो सकते हैं वहीं रंधाावा को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शनिवार पारित प्रस्ताव कर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से आग्रह किया गया कि वे विधायक दल के अगले नेता के बारे फैसला करें। आज दोपहर तक नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो सकता है।
कैप्टन अमरिंदर के बाद कौन-कौन मुख्यमंत्री बनने की रेस में है...
सुनील जाखड़
दो महीने पहले जिन सुनील जाखड़ को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाकर नवजोत सिद्धू को अध्यक्ष बनाया गया वही जाखड़ आज सीएम की रेस में सबसे आगे हैं। पूर्व प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख सुनील जाखड़ का नाम संभावित सीएम के रूप में चल रहा है। यदि जाखड़ मुख्यमंत्री बनते हैं तो 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के बाद यह पहली बार होगा राज्य में कोई हिंदू चेहरा मुख्यमंत्री बनेगा। बता दें कि हरियाणा के सुचारू निर्माण के लिए राष्ट्रपति शासन लागू होने से पहले 1964 से 1966 तक दो साल के कार्यकाल के लिए राम किशन आखिरी हिंदू मुख्यमंत्री थे। लाेकसभा के अध्यक्ष रहे बलराम जाखड़ के बेटे सुनील जाखड़ गुरदासपुर से सांसद एंव अबोहर से विधायक रहे हें।
नवजोत सिंह सिद्धू
दो महीने पहले पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रधानगी संभालने वाले नवजोत सिंह सिद्धू की नजर अब सीएम की कुर्सी पर है। इसके लिए सिद्धू ने अपनी वकालत हाईकमान के आगे तेज कर दी है। कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में दो साल तक केबिनेट मंत्री रहे सिद्धू ने कैप्टन से नाराज होकर जुलाई 2012 में मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया था। अमरिंदर के कड़े विरोध के बीच सिद्धू प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद पाने में सफल रहे और अब वह कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटाने में कामयाब रहे हैं। अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से 3 बार के सांसद और भाजपा के सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए मनोनीत सांसद, 58 वर्षीय मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे कम उम्र का चेहरा हैं।
प्रताप सिंह बाजवा
गुरदासपुर जिले के 64 वर्षीय प्रताप सिंह बाजवा भी सीएम की दौड़ में हैं। वह भी प्रदेश के सबसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं में से हैं और इस समय पंजाब से राज्यसभा सांसद हैं। प्रताप सिंह बाजवा के पिता सतनाम सिंह बाजवा भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और मंत्री रह चुके थे। प्रताप के छोटे भाई, फतेह जंग सिंह बाजवा भी कांग्रेस विधायक हैं, वहीं उनकी पत्नी चरणजीत कौर बाजवा भी पिछली विधानसभा में विधायक रही हैं।
सुखजिंदर सिंह रंधावा
कैप्टन अमरिंदर सिंह की निवर्तमान कैबिनेट में जेल और सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा (62) पंजाब के जंगली पश्चिम माने जाने वाले माझा क्षेत्र के गुरदासपुर जिले के रहने वाले रंधावा तीन बार के कांग्रेस विधायक हैं। वे 2002, 2007 और 2017 में विधायक बने। वह राज्य कांग्रेस के उपाध्यक्ष और महासचिव रह चुके हैं। उनका परिवार भी कांग्रेस से जुड़ा रहा है। उनके पिता, संतोख सिंह, दो बार राज्य कांग्रेस अध्यक्ष थे और माझा क्षेत्र में एक बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति थे।