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किसानों के विरोध के बीच लोकसभा से पास कृषि बिल, राष्ट्रपति ने मंजूर किया हरसिमरत कौर का इस्तीफा

लोकसभा ने गुरुवार को विपक्ष और सत्ताधारी एनडीए के एक घटक शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के विरोध के बीच कृषि...
किसानों के विरोध के बीच लोकसभा से पास कृषि बिल, राष्ट्रपति ने मंजूर किया हरसिमरत कौर का इस्तीफा

लोकसभा ने गुरुवार को विपक्ष और सत्ताधारी एनडीए के एक घटक शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के विरोध के बीच कृषि क्षेत्र से संबंधित दो विधेयक पारित किए। मोदी सरकार को झटका देते हुए तीन कृषि क्षेत्रों के बिल में एसएडी की सदस्य हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।

लोकसभा द्वारा बिल पारित किए जाने से मुश्किल से एक घंटे पहले हरसिमरत कौर ने ट्वीट किया, ‘मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है’।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शुक्रवार को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। राष्ट्रपति भवन ने एक बयान में कहा, "भारत के राष्ट्रपति ने, जैसा कि प्रधानमंत्री ने सलाह दी है, ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद से हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे को तुरंत प्रभाव से स्वीकार कर लिया है।" इसके अलावा, प्रधानमंत्री द्वारा सलाह के अनुसार, राष्ट्रपति ने निर्देश दिया है कि कैबिनेट मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उनके मौजूदा विभागों के अलावा, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का प्रभार सौंपा जाए।

कौर का इस्तीफा उस समय आया जब उनके पति और शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने लोकसभा में बिलों का कड़ा विरोध करते हुए दावा किया कि ये विधेयक पंजाब में कृषि क्षेत्र को "नष्ट" कर देंगे और घोषणा की कि केंद्रीय मंत्री विरोध में सरकार छोड़ देंगे।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने चार पन्नों के इस्तीफे में कौर ने कहा कि उनकी पार्टी की लगातार दलीलों और बार-बार के प्रयासों के बावजूद केंद्र सरकार ने इन बिलों पर किसानों का विश्वास हासिल नहीं किया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का हर सदस्य किसान है। कौर ने कहा कि शिअद ऐसा कर किसानों के हितों की पैरोकार होने की अपनी वर्षों पुरानी परंपरा को बस जारी रख रही है।

हरसिमरत कौर ने पीएम मोदी को भेजे अपने इस्तीफे में लिखा, 'किसान और अकाली दल एक दूसरे के पर्याय हैं क्योंकि पार्टी सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव के समतावादी दृष्टिकोण से प्रेरित है, जिन्होंने करतारपुर साहिब में अपने खेतों में एक विनम्र किसान के रूप में काम करते हुए लगभग 20 साल बिताए थे। यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि किसानों के लिए अकाली क्या है।

 

गौरतलब है कि केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि हैं। अकाली दल, भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी है।

लोकसभा में अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि पंजाब के किसानों ने अन्न के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पंजाब में लगातार सरकारों ने कृषि आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिए कठिन काम किया लेकिन यह अध्यादेश उनकी 50 साल की तपस्या को बर्बाद कर देगा। अकाली दल नेता ने लोकसभा में कहा, ‘‘मैं घोषणा करता हूं कि हरसिमरत कौर बादल सरकार से इस्तीफा देंगी।’’

बता दें कि पंजाब-हरियाणा के किसान कई दिनों से विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार ने सोमवार को ही लोकसभा में आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) विधेयक तथा कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार विधेयक पेश किया था।

 

 

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