मणिपुर हिंसा का मुद्दा फिलहाल देश के सबसे चर्चित मुद्दों में से एक है। लेकिन इसके बावजूद राज्यसभा और लोकसभा में इसपर चर्चा नहीं हो सकी है। विपक्ष पीएम मोदी से सदन में बयान देने की मांग पर अड़ा है। एक बार फिर, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को पीएम मोदी से मणिपुर हिंसा पर दोनों सदनों में "व्यापक" बयान देने की मांग की।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति कमज़ोर है और मणिपुर हिंसा का प्रभाव अन्य राज्यों में फैलता दिख रहा है।" उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि यह देश के सीमावर्ती राज्यों के लिए सही नहीं है।
खड़गे ने कहा, "मणिपुर में 83 दिनों की बेरोकटोक हिंसा के लिए जरूरी है कि प्रधानमंत्री संसद में व्यापक बयान दें।" कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्विटर पर कहा, "बेहद भयावहता की कहानियां अब धीरे-धीरे सामने आ रही हैं। INDIA, मणिपुर हिंसा पर मोदी सरकार से जवाब मांगता है।''
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खड़गे ने कहा, "अब समय आ गया है कि मोदी अपना "अहंकार" त्यागें और मणिपुर पर देश को विश्वास में लें। पीएम मोदी को बताना चाहिए कि उनकी सरकार हालात सुधारने के लिए क्या कर रही है और मणिपुर में हालात कब सामान्य होंगे।" विपक्ष मणिपुर की स्थिति पर संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री के बयान और उसके बाद चर्चा की मांग कर रहा है।
बता दें कि संसद के मानसून सत्र के चौथे दिन मंगलवार को विपक्षी दलों के कई सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा में नोटिस देकर मणिपुर मुद्दे पर चर्चा की मांग की है, जो सत्र शुरू होने के बाद से दोनों सदनों में लगातार गतिरोध का एक प्रमुख कारण रहा है। लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और गौरव गोगोई ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग करते हुए स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया है।
उधर, विपक्षी राज्यसभा सांसद के केशव राव, केआर सुरेश रेड्डी, जोगिनीपल्ली संतोष कुमार, बादुगुला लिंगैया यादव, रंजीत रंजन, मनोज झा, सैयद नसीर हुसैन, तिरुचि शिवा, इमरान प्रतापगढ़ी ने मणिपुर में मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस पेश किया है।