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जम्मू कश्मीर पर बोले मनीष तिवारी- कानून व्यवस्था की हालत चिंताजनक, सरकार हासिल नहीं कर पाई निर्धारित लक्ष्य

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है और...
जम्मू कश्मीर पर बोले मनीष तिवारी- कानून व्यवस्था की हालत चिंताजनक, सरकार हासिल नहीं कर पाई निर्धारित लक्ष्य

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है और केंद्र शासित प्रदेश की माली स्थिति भी ठीक नहीं है। सरकार अनुच्छेद 370 को खत्म करते हुए अपने निर्धारित उद्देश्यों को हासिल नहीं कर पाई है।

लोकसभा में जम्मू कश्मीर के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट और वित्त वर्ष 2021-22 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए तिवारी ने कहा कि लेकिन जम्मू कश्मीर के बजट पर इस सदन में अलग से चर्चा क्यों हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार यह परंपरा डाल रही है तो चंडीगढ़, लक्षद्वीप और दमन दीव आदि केंद्रशासित प्रदेशों के बजट पर भी चर्चा होनी चाहिए।

मनीष तिवारी ने कहा कि अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने के बाद भी वहां कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है और 2019 से ज्यादा संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्य होने से इसका असर राज्य की अर्थव्यवस्था, समाज पर सीधा पड़ता है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार ने सरकार ने अगस्त 2019 में तर्क दिये थे कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान समाप्त करने और दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में बांटने से भारत में जम्मू कश्मीर के एकीकरण को मजबूत किया जा सकेगा और राज्य के विकास को तेज किया जा सकेगा लेकिन अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने के बाद पहले चार महीने में ही राज्य को बहुत बड़ा माली नुकसान हुआ है। पिछले तीन साल में जम्मू कश्मीर बहुत कठिन स्थिति से गुजरा है जहां कई महीने तक इंटरनेट बंद रहा और बेरोजगारी की दर बढ़ गयी।

मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार जिस मकसद से अगस्त 2019 में चली थी, वह पूरा होता नहीं दिख रहा है। जम्मू कश्मीर में 73 प्रतिशत पैसा प्रशासनिक कार्यों पर खर्च किया जा रहा है जिससे वहां कानून व्यवस्था की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि जब जम्मू कश्मीर विधानसभा बनेगी तो क्या उसमें सिख अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण मिलेगा? उन्होंने कहा कि कश्मीर में उद्योग तो है नहीं। जम्मू के तीन जिलों में 12,997 औद्योगिक इकाइयां थीं जिनमें 5,890 काम कर रही हैं, बाकी बंद हो चुकी हैं।

तिवारी ने अपनी बात को पुष्ट करने के लिए संघर्ष विराम उल्लंघन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2018 में 2,936 संघर्ष विराम उल्लंघन हुए, 2019 में 3,279 थे, 2020 में वे बढ़कर 5,100 हो गए और 2021 में, पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम समझौते के बावजूद, संघर्ष विराम उल्लंघन 664 थे। उन्होंने इसकी तुलना यूपीए सरकार के दौर से की, जिसमें कहा गया था कि 2013 में संघर्ष विराम उल्लंघन 100 से कम रहा।

उन्होंने कहा, "अब हम मार्च 2022 में हैं, लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि सरकार प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के बयानों पर कब कार्रवाई करेगी और जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा कब बहाल होगा।" तिवारी ने जम्मू-कश्मीर में परिसीमन को लेकर राजनीतिक दलों की चिंताओं को भी उजागर किया।।

बहस में भाग लेते हुए, भाजपा के जम्मू के सांसद जुगल किशोर शर्मा ने कहा कि अनुच्छेद 370 के तहत सत्ता का दुरुपयोग किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि "रिश्वत" थी और धारा 370 को निरस्त करने से पहले लोग अव्यवस्थित थे। उन्होंने कहा कि पहले पैसे का इस्तेमाल विकास के लिए नहीं बल्कि कुछ खास परिवारों के फायदे के लिए किया जाता था। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में रोजगार पैदा हो रहा है और विकास परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले जम्मू के साथ भेदभाव किया जाता था लेकिन अब वह बदल गया है।

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