शर्मा ने कहा कि मायावती जी के हर संबोधनों और भाषणों में उनकी हताशा एवं निराशा स्पष्ट झलकती है क्योंकि उनके पांव के नीचे से जमीन खिसक गई है। दलितों के नाम पर वोटों की राजनीति करके टिकटों को बेचना और धन-उगाही करना उनका व्यवसाय बन गया है। मायावती ने दलितों के नाम पर सिर्फ दौलत बटोरने का ही काम किया है और उन्हें दलितों से कोई लेना-देना नहीं है।
शर्मा ने आरोप लगाया कि उनके (बसपा प्रमुख) भाई की आय से अधिक संपत्ति की जांच कांग्रेस की संप्रग सरकार के समय से ही चल रही है। देश के प्रधानमंत्री पर अनर्गल आरोप लगाने के बजाय मायावती को पहले देश के कानून का सम्मान करना सीखना चाहिए। उन्हें कानून का सहयोग करना चाहिए।
भाजपा नेता ने कहा कि यदि वे (मायावती) अथवा उनके परिवार के लोग निर्दोष हैं तो उन्हें डर नहीं होना चाहिए लेकिन यदि वे गलत हैं तो कानून अपनी कार्रवाई करेगा। शर्मा ने आरोप लगाया कि मायावती बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम का सहारा लेकर अपनी सिखकती राजनीतिक जमीन को फिर से पाने का प्रयास कर रही हैं लेकिन बाबा साहब के सिद्धांतों से बसपा प्रमु़ख का दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है।
उल्लेखनीय है कि मायावती ने भाजपा पर आरोप लगाया कि चुनाव के नजदीक आते ही उन लोगों को उनके (मायावती के) परिवार में गडबडी नजर आई और चुनाव के दौरान पार्टी और परिवार में सभी कमियां नजर आने लगी हैं जो सत्ता में आने से रोकने के लिए बसपा कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराने के मकसद से है। (एजेंसी)