कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपाल चयन समिति की बैठक को महज दिखावा बताते हुए इस पर सवाल खड़े किए हैं। इस बारे में खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा है तथा बैठक में कांग्रेस को बतौर विशेष आमंत्रित सदस्य के बुलावा देना विपक्ष की आवाज को कुचलने वाला कदम बताया है।
खड़गे ने लिखा है कि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस को विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर बुलाने का मकसद ही विपक्ष की आवाज को कुचलना है। सरकार बखूबी जानती है कि ‘लोकपाल अधिनियम 2013 के अनुसार, विपक्ष के नेता को विशेष आमंत्रित व्यक्ति के रूप में शामिल नहीं किया जा सकता है और न ही विपक्ष के विचारों को इसमें शामिल किया जा सकता है। सीधे तौर पर यह देश को गुमराह करने वाला कदम है। यह सरकार का एक निराशाजनक और गैर-संवैधानिक कदम है। चयन समिति की बैठक में बतौर विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल होने के कोई मायने नहीं हैं। सरकार इससे पूर्व भी इस तरह की गतिविधि कर चुकी है और तब भी कांग्रेस ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया था।
कांग्रसी नेता का कहना है कि विशेष आमंत्रित के तौर पर बुलाना सीधे तौर पर राजनीतिक दिखावा मात्र ही है और इससे लोकपाल कानून की पवित्रता पर भी सवाल खड़े होते हैं। बैठक में बिना भागीदारी के अधिकार, विचारों को दर्ज नहीं करने और बिना मतदान के अधिकार की उनकी भागीदारी महज आंख में धूल झोंकने की कवायद होगी जिसका एकमात्र मकसद चयन प्रक्रिया में विपक्ष की भागीदारी को दिखाना है, जिसे सीधे तौर पर कांग्रेस नकारती है। खड़गे ने कहा कि अगर सरकार लोकपाल को पवित्रता के साथ नियुक्त करने के लिए गंभीर है तो, कानून में संशोधन के लिए विधेयक लाना चाहिए और इसे संसद में पेश करना चाहिए।