कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों का ‘रिकॉर्ड नहीं होने’ को लेकर शुक्रवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हम उन लोगों की सूची मुहैया कराएंगे, जो आंदोलन के दौरान मारे गए। सरकार को दिखाते हुए इन किसानों के परिवारों को उचित मुआवजा देना चाहिए।
राहुल गांधी ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान मारे गए 500 से अधिक किसानों की एक सूची’ भी सार्वजनिक की। उन्होंने कहा कि वह यह सूची सोमवार को लोकसभा के पटल पर रखेंगे।
कांग्रेस नेता ने राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘संसद में सवाल किया गया था कि क्या किसान आंदोलन में 700 किसानों की मौत हुई? सरकार ने जवाब दिया कि उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। हम 503 नाम जारी कर रहे हैं। बाकी नामों का सत्यापन करने के बाद हम सूची जारी कर देंगे।’’
राहुल गांधी ने दावा किया कि सरकार कोरोना महामारी में मारे गए लोगों और किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा नहीं देना चाहती है, जिससे वह मौत के आंकड़े स्वीकार नहीं कर रही है।
राहुल गांधी ने कहा, हमारे पास ऐसे 403 लोगों की लिस्ट है, जिन्हें पंजाब सरकार ने 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया है और 152 लोगों को नौकरी दी है। हमारे पास 100 ऐसे लोगों के नाम हैं, जो अन्य राज्यों से हैं. तीसरी ऐसी लिस्ट है, जो सार्वजनिक सूचना में हैं और आसानी से वेरिफाई हो सकते हैं। लेकिन सरकार कहती है कि ऐसी कोई सूची है ही नहीं।
उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब की सरकार ने ऐसे किसानों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया है। हमारी कोई गलती नहीं है। प्रधानमंत्री की गलती से लोगों की जान गई है।’’ कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ‘‘जब प्रधानमंत्री ने अपनी गलती स्वीकार कर ली, माफी मांग ली तो फिर मुआवजा देने में क्या परेशानी है?’’
गत 30 नवंबर को सरकार ने बताया था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के आसपास कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मृत किसानों की संख्या संबंधी आंकड़ा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पास नहीं है। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह जानकारी दी थी। तोमर ने बताया था, ‘‘कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पास इस संबंध में कोई आंकड़ा नहीं है।’’ राजीव रंजन सिंह, टी आर प्रतापन, एन के प्रेमचंद्रन, ए एम आरिफ, डीन कुरियाकोस, प्रो. सौगत राय और अब्दुल खालीक ने पूछा था कि तीन कृषि कानून के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी के आसपास आंदोलन के दौरान कितने किसानों की मौत हुई।