राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार लगातार किसानों के धैर्य का इम्तिहान ले रही है। जबकि किसानों की मांग पूरी तरह स्पष्ट और जायज हैं। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने से भी सरकार के खाजाने पर भी कोई असर नहीं पड़ने वाला। फिर भी सरकार इन कानूनों को वापस क्यों नहीं ले रही। ये सरकार का अड़ियल रवैया है।
राज्यसभा सांसद हुड्डा का कहना है कि अन्नदाता मुश्किल और निर्णायक दौर से गुज़र रहा है। हरियाणा सरकार की तरफ से लगाई गई तमाम बंदिशों को पार करते हुए, किसान अपना घर छोड़कर कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठा है। इतने बड़े स्तर पर चल रहा आंदोलन पूरी तरह अनुशासित और शांतिपूर्ण है। किसान ही नहीं देशभर के मजदूर, कर्मचारी, समाजिक, राजनीतिक और दूसरे संगठनों का समर्थन भी आंदोलन को मिल रहा है। हरियाणा, पंजाब के बाद यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, झारखंड, महाराष्ट्र समेत सभी प्रदेशों के किसान इस आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं। इसलिए अब ये जन-जन का आंदोलन बन चुका है। आंदोलन जितना लंबा चलेगा, उतना ही बड़ा होता जाएगा।
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार किसानों को बयानबाजी और आधे अधूरे आश्वासनों में उलझाने की कोशिश ना करे। किसान अपनी मांगों से किसी भी तरह के समझौते के मूड में नहीं हैं। सरकार को अन्नदाता के दर्द और मांगों की गंभीरता को समझना चाहिए और किसानों की मांगों को मानना चाहिए।