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येचुरी बोले, लोकतांत्रिक ढांचे को गिराने पर आमादा मोदी सरकार

माकपा नेता सीताराम येचुरी का मानना है कि मोदी सरकार देश के लोकतांत्रिक ढांचे को गिराने पर आमादा है। उनकी राय है कि भाजपा के हिंदू राष्‍ट्रवाद ने देश के सामाजिक ताने बाने को उलझाया है। इसकी आर्थिक नीतियों ने देश को कम और पूंजीवादी पाश्‍चात्‍य देशों को ज्‍यादा फायदा पहुंचाया है। पार्टी ने संसदीय लोकतंत्र पर हमला करते हुए देश की संवैधानिक संस्‍थानों का मखौल उड़ाया है।
येचुरी बोले, लोकतांत्रिक ढांचे को गिराने पर आमादा मोदी सरकार

माकपा नेता के अनुसार मोदी सरकार के सांसदों और मं‍त्रियों के बेतुके और गैर जिम्‍मेदाराना बयान ने अल्‍पसंख्‍यक वर्ग के लोगों के मन में डर पैदा किया है। इसके बाद भी पीएम मोदी ने अपने इन नेताओंं पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की। सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पनसारे, डॉ कालबर्गी की हत्‍या बताती है कि देश में कट़टरपंथी संगठनों का बोलबाला है। लव जिहाद, घर वापसी, गो मांस प्रकरण, अखलाक की हत्‍या, रोहित वेमुला प्रकरण, जेएनयू प्रकरण इन तमाम मामलों में मोदी सरकार असफल हुई है। येचुरी ने कहा कि केंद्र सरकार समाज के साथ शिक्षा काे भी सांप्रदायिक रंग में रंग रही है उनकी यह मुहिम कष्‍टकारी है। मोदी सरकार ने संसद में भू अधिग्रहण कानून का मामला हो या आईपीएल से संबंधित ललित मोदी का प्रकरण हो, सभी में लोकतांत्रिक गरिमा को ठेस पहुंचाई है। माकपा नेता की राय है कि मोदी सरकार की क्रोनी कैपिटलिज्‍म की नीतियां देश को कम बल्कि पूंजीपति देशों को ही ज्‍यादा फायदे में रखा है। मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेस का उनका वायदा लागू ही नहीं किया गया। हरियाणा का जाट आरक्षण या गुजरात का पाटीदार आंदोलन या मध्‍य प्रदेश का व्‍यापम घोटाला हो, इन सभी मसलों में मोदी सरकार ने तत्‍परता से कार्य नहीं किया। अमेरिका से कई मसलों पर गैर जरुरी समझौते किए गए। जो देश की विदेश नीति पर कुठाराघात है। पाकिस्‍तान के साथ कूटनीति रिश्‍तों में भी सरकार हमेशा बैकफुट पर रही है। येचुरी ने कहा कि मोदी सरकार देश की जीडीपी को विकास का सूचक कहती है लेकिन आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन तथा पीएम के इकोनोमिक एडवाइजर स्‍वयं कह चुके हैं कि जीडीपी और देश की जमीनी हालत में काफी अंतर है। सरकार ने निर्यात को दोगुना करने का वादा किया था लेकिन यह पिछले 17 महीनों से लगातार घटकर आधा हो गया है। दाल के दामों में 34 फीसदी का इजाफा हुआ है। विदेशी निवेश में 23 फीसदी की गिरावट हुई है। पिछले एक सालों में देश में करीब 3000 किसानों ने खुदकुशी की है। 116 किसान तो इसी साल खुदकुशी कर चुके हैं।

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