महाराष्ट्र सरकार गठन को लेकर सियासी ड्रामा जारी है। अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने एक बार फिर विधायकों के समर्थन वाली लिस्ट राजभवन को सौंप दी है। विधायकों के समर्थन वाली सूची एनसीपी विधायक दल के नव-निर्वाचित नेता जयंत पाटिल ने राजभवन को दी है। वहीं एनसीपी अभ भी 49-50 विधायकों के समर्थन की बात कर रही है वहीं शिवसेना की ओर से कहा गया, “शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के पास 165 विधायक हैं। अगर राज्यपाल पहचान परेड के लिए बुलाते हैं तो दस मिनट में हम अपना बहुमत साबित कर सकते हैं।”
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने आज गवर्नर हाउस में राजभवन के अधिकारियों से मुलाकात की और अपने वर्तमान विधायक दल और विधायक दल के नेता की सूची सौंपी।
वहीं एनसीपी के नेता छगन भुजबल ने रविवार को पुष्टि की कि 49-50 विधायक पार्टी प्रमुख शरद पवार के साथ हैं। भुजबल ने मीडिया से कहा, "पार्टी के करीब 49-50 विधायक अभी हमारे साथ हैं और 1-2 भी आ रहे हैं। सभी विधायकों को एक साथ रखा गया है। राकांपा-कांग्रेस-शिवसेना महाराष्ट्र में 100 फीसदी सरकार बनाएगी।"
शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के पास 165 विधायकों का समर्थन है: राउत
शिवसेना नेता संजय राउत ने रविवार को दावा किया कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन के पास महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 165 विधायकों का समर्थन है। यहां पत्रकारों से बातचीत में राउत ने आरोप लगाया कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने ‘‘फर्जी’’ दस्तावेजों के आधार पर भाजपा के देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में नयी सरकार के गठन की इजाजत दी।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को बहुमत साबित करने के लिए दी गई 30 नवंबर की समयसीमा केवल इसलिए दी गई ताकि दल बदल कराया जा सके। राउत ने कहा, ‘‘शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के पास 165 विधायक हैं। अगर राज्यपाल पहचान परेड के लिए बुलाते हैं तो दस मिनट में हम अपना बहुमत साबित कर सकते हैं।’’
उन्होंने यह भी कहा कि 23 नवंबर का दिन महाराष्ट्र के इतिहास में ‘‘काला शनिवार’’ था। शिवसेना नेता ने कहा कि भाजपा को इंदिरा गांधी द्वारा लगाए आपातकाल को ‘‘काला दिवस’’ कहने का कोई अधिकार नही है।
अजीत पवार लौटे घर
सूत्रों ने बताया कि राकांपा नेता अजित पवार रविवार को तड़के चर्चगेट के निकट अपने निजी आवास पहुंचे। पवार ने शनिवार को महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। भाजपा ने अजित पवार को एनसीपी के विधायक दल के नेता पद से हटाए जाने का विरोध करते हुए इसे ‘अमान्य’ बताया।