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कांग्रेस बोली, क्या कोनराड संगमा के पृथक गारोलैंड के वादे से उनके सहयोगी दल सहमत हैं?

मेघालय सरकार गठन पर बोली कांग्रेस, ‘क्या कोनराड संगमा के पृथक गारोलैंड के वादे से उनके सहयोगी दल सहमत...
कांग्रेस बोली, क्या कोनराड संगमा के पृथक गारोलैंड के वादे से उनके सहयोगी दल सहमत हैं?

मेघालय सरकार गठन पर बोली कांग्रेस, ‘क्या कोनराड संगमा के पृथक गारोलैंड के वादे से उनके सहयोगी दल सहमत हैं और क्या संगमा मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने वादे को पूरा करेंगे? भाजपा और मोदीजी का इस पर क्या मानना है?  क्या  भाजपा पूरे उत्तर पूर्व इलाके को अस्थिर करने की तरफ तो नहीं धकेल रही?’

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा है, ‘मेघालय में भाजपा के केवल दो विधायक जीते है और चुनाव में राजनैतिक विचारधारा के खिलाफ लड़ने वाले दलों एनपीपी, यूडीपी, पीडीएफ, एचएसडीपी, भाजपा व ऩिर्दलीय ने मिलकर अपने हितों को साधने के लिए किसी भी कीमत पर सरकार बना ली। सरकार बनाने में यह भी नहीं देखा कि इससे राज्य को नुकसान होगा या फायदा।‘ उन्होंने कहा, हमें यह नहीं भूलना चाहिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कोनराड संगमा और उनकी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने मेघालय से अलग गारोलैंड राज्य बनाने का वादा किया था तो क्या सरकार में शामिल अन्य पार्टियां इससे सहमत हैं और क्या संगमा मुख्यमंत्री बनने के बाद इस वादे को पूरा करेंगे, इस पर मोदीजी और भाजपा का क्या कहना है?

सुरजेवाला ने त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि प्रार्थना करता हूं कि नई सरकार विकास, शांति और प्रगति के एजेंडे पर काम करेगी। लोगों से जुड़े मुद्दे खासतौर पर युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।उन्होंने कहा,’ प्रत्येक भारतीय, भाजपा द्वारा किसी भी कीमत पर और किसी भी माध्यम से सत्ता हथियाये जाने को लेकर चिंतित है और क्या इसके कारण समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र को अस्थिरता की ओर नहीं धकेला जा रहा है?’

उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में भाजपा की सहयोगी आईपीएफटी का मुख्य चुनावी मुद्दा राज्य का बंटवारा था और अब आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग की जा रही है। इस दोनों मुद्दे पर भाजपा और मोदी सरकार का क्या कहना है? क्या वह त्रिपुरा के बंटवारे की मांग पूरा करेगी या आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग को खारिज करेगी? नगालैंड में भाजपा पहले नेशलन पीपुल्स फ्रंट (एनफीएफ) के साथ थी और अब उसकी विरोधी पार्टी एनडीपीपी के साथ है जिसने 18 सीटें जीती हैं जबकि एनपीएफ ने 26 सीटें ली हैं। दोनों ही दल सरकार  बनाने का दावा कर रहे थे। तब क्या नगलैंड में अगले पांच साल फिर से अस्थिरता नहीं रहेगी? मणिपुर में भाजपा को एनपीएफ के तीन विधायकों ने समर्थन दिया है तब क्या मणिपुर में सरकार की स्थिरता पर संकट नहीं आएगा?  सुरजेवाला ने कहा, ' भाजपा उत्तर पूर्व में स्थिरता, सुरक्षा, शांति और प्रगति को ध्यान में रखे बिना अस्थिरता, विध्वंस तथा सत्ता हथियाने का खतरनाक खेल खेल रही है।' उम्मीद है कि मोदीजी राजीवजी से सबक लेंगे जिन्होंने सदैव देश को पहले रखा और असम और मिजो समझौता कर क्षेत्र में शांति स्थापित की। 

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