ट्विटर हैंडल @AnonGoIWPEdits ने इस बारे में ट्वीट करके जानकारी दी है। इस ट्विटर हैंडल को चलाने वाले सेंटर फॉर इंटरनेट ऐंड सोसाइटी के पॉलिसी डायरेक्टर प्रकाश ने पाया कि इस तरह से सभी बदलाव एक ही आईपी एड्रेस से किए गए थे। छानबीन में पाया गया कि यह सरकार के राष्ट्रीय सूचना केंद्र (NIC) का है।
प्रकाश ने कहा, 'यह दिखाता है कि आईपी अड्रेस NIC का था, इससे ज्यादा और कुछ पता नहीं चलता।' एडिट्स में कहा गया था, 'गंगाधर जन्म से मुस्लिम थे और उनका नाम गियासुद्दीन गाजी था, मगर अंग्रेजों से बचने के लिए इसे गंगाधर बना दिया गया था।' ऐसे ही बदलाव गंगाधर के बेटे मोतीलाल नेहरू और पोते जवाहरलाल नेहरू के पेज पर भी किए गए थे। जवाहरलाल नेहरू और देश के पहले गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबैटन की पत्नी एडविना के बीच 'अफेयर' को लेकर भी बहुत कुछ लिखा गया था। इस बारे में आउटलुक ने कांग्रेस प्रवक्ता अजय कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि ‘NIC के कंप्यूटर हैक होने का सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि वीकीपीडिया में एडिटिंग की सुविधा है। भाजपा की सरकार है और भाजपा यानी आरएसएस। ’ अजय कुमार का कहना है कि आरएसएस तो देश की आजादी की लड़ाई में भी अंग्रेजों के साथ था। यह लोग ऐसा करके देश का इतिहास बदलना चाहते हैं। यही नहीं यह ढोंगी राष्ट्रवादी हैं। पंडित नेहरू को कश्मीरी पंडित बताते हुए अजय कुमार ने कहा कि इतिहास बदलना आरएसएस के डीएनए में है।
इसी विषय पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एसवी रमणी ने कहा कि इसके लिए हैकिंग की जरूरत ही नहीं है। हमारी जानकारी में यही है कि ये बदलाव सरकारी आईपी एड्रेस से किए गए हैं।