इन दिनों न्यायपालिका को लेकर राजनीति तेज है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई दीपक मिश्रा पर विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव को लेकर काफी हंगामा हुआ। अब उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति रोके जाने को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने सवाल उठाए हैं।
बता दें कि केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश के आधार पर वरिष्ठ वकील इंदू मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है। जबकि उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति रोके रखने का फैसला किया है।
इसे लेकर पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, “खुश हूं कि इंदू मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगी। निराश हूं कि जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति अभी भी रोकी गई है। केएम जोसेफ की नियुक्ति आखिर क्यों रोकी गई है? क्या इसके लिए उनका राज्य, उनका धर्म या उत्तराखंड केस में उनका फैसला लेना कारण है?”
What is holding up Justice K M Joseph's appointment? His State or his religion or his judgement in the Uttarakhand case?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 26, 2018
चिदंबरम ने आगे लिखा कि कानून के मुताबिक, जज नियुक्त करने में कॉलेजियम की सिफारिश ही अंतिम है। क्या मोदी सरकार कानून से ऊपर हो गई है?
As the law stands now, the recommendation of the SC collegium is final and binding in the appointment of judges.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 26, 2018
Is the Modi government above the law?
बता दें कि, उत्तराखंड में केंद्र के राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को 21 मार्च 2016 को चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने पलट दिया था। इसके कारण हरीश रावत एक बार फिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बन गए थे। जस्टिस जोसेफ और जस्टिस वीके बिष्ट की बेंच ने अपने फैसले में कहा था, “केंद्र की ओर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित नियम के खिलाफ है।”