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राज्यसभा से 12 सांसदों के निलंबन पर विपक्ष सख्त, कहा- यह लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा, आगामी रणनीति के लिए आज बुलाई बैठक

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा के 12 सासंदों पर को मौजूदा सत्र की बाकी अवधि के लिए निलंबित...
राज्यसभा से 12 सांसदों के निलंबन पर विपक्ष सख्त, कहा- यह लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा, आगामी रणनीति के लिए आज बुलाई बैठक

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा के 12 सासंदों पर को मौजूदा सत्र की बाकी अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है। इनमें शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और तृणमूल सांसद डोला सेन भी मौजूद हैं। निलंबन के बाद कई सांसदों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है। विपक्षी पार्टियों ने कल इस फैसले को लेकर एक बैठक बुलाई है, जिसमें आगे क्या कदम उठाना है उसको लेकर चर्चा  की जाएगी। विपक्ष का कहना है कि निलंबन का फैसला लेकर विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश की गई है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि अगर दूसरों के लिए आवाज उठाने वालों की आवाज दबाई जाती है, तो यह लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। हम इसकी निंदा करते हैं।

विपक्ष का कहना है कि 12 सांसदों का निलंबन नियमों के खिलाफ है। नियम 256 के अनुसार सदस्य को सत्र के बाकी बचे समय के लिए निलंबित किया जाता है। मानसून सत्र 11 अगस्त को ही समाप्त हो चुका है। ऐसे में इस सत्र में सदस्यों का निलंबन गलत है। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र और संविधान की हत्या करार दिया है। यह लोकतंत्र विरोधी कदम है। इस निरंकुश सरकार ने सांसदों में डर पैदा करने के लिए ऐसा किया है। 12 सांसदों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रस्ताव लाना पूरी तरह से अवैध, गलत और नियमों के खिलाफ है।

शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "कोई आरोपी है तो जिला जज से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उनकी सुनवाई होती है। उनके लिए वकील भी मुहैया कराए जाते हैं।. कभी कभी तो आरोपी का पक्ष जानने के लिए सरकारी अधिकारी भेजे जाते हैं.।यहां हमारे पक्ष को सुना ही नहीं गया।" उन्होने कहा कि अगर आप सीसीटीवी फुटेज देखेंगे तो पता चलेगा की कैसे पुरुष मार्शल महिला सांसदों के साथ धक्का-मुक्की कर रहे थे। ये सब एक तरफ और आपका फैसला एक तरफ? ये किस तरह का असंसदीय व्यवहार है?

कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने कहा, "हां हमने विरोध प्रदर्शन किया था। हमने किसानों, गरीबों के लिए प्रदर्शन किया था और एक सांसद होने के नाते ये हमारा कर्तव्य है कि हम उत्पीड़ित और वंचित लोगों की आवाज़ उठाएं। अगर हम संसद में आवाज़ नहीं उठाएंगे तो कहां उठाएंगे?" उन्होंने कहा, "ये पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है, ये लोकतंत्र और संविधान की हत्या है।"

12 सांसदों पर ये कार्रवाई मानसून सत्र में अनुशासनहीनता को लेकर की गई है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम को मौजूदा सत्र से निलंबित किया गया है।

सांसदों के निलंबन नोटिस में कहा गया है कि 11 अगस्त को मानसून सत्र के आखिरी दिन सांसदों ने हिंसक व्यवहार से और सुरक्षाकर्मियों पर जानबूझकर किए गए हमलों से सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाई। संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन यानी 11 अगस्त को राज्यसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था। विपक्षी सांसदों ने दावा किया कि उन पर उन मार्शलों ने हमला किया जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा भी नहीं थे।

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