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अगर नोटबंदी के समय रघुराम राजन की सलाह ली गई होती तो अर्थव्यवस्था तबाह नहीं होती: कांग्रेस

कांग्रेस ने भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल होने...
अगर नोटबंदी के समय रघुराम राजन की सलाह ली गई होती तो अर्थव्यवस्था तबाह नहीं होती: कांग्रेस

कांग्रेस ने भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल होने के बाद बुधवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की पूरी कैबिनेट को मिलाकर भी राजन की योग्यता का मुकाबला नही हो सकता।

मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि नोटबंदी जैसे फैसले से पहले राजन की सलाह ली गई होती तो भारत की अर्थव्यवस्था तबाह नहीं होती।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रघुराम राजन के कांग्रेस की ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’ में शामिल होने के बाद उन पर तंज कसते हुए बुधवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था पर उनकी टिप्पणी को ‘‘तुच्छ समझकर’’ खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि वह ‘‘अवसरवाद’’ का परिचायक थी।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजन के साथ पदयात्रा की एक तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘ स्वतंत्रता लोकतंत्र का सार है और सद्भाव एक समृद्ध अर्थव्यवस्था की बुनियाद है। हम एकजुटता और भारत के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं।’’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘‘एक मजबूत और अच्छी अर्थव्यवस्था विकास और कल्याण का एक संयोजन है। हमारा विजन उस भारत को फिर से हासिल करना है। हमें खुशी है कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर और प्रमुख अर्थशास्त्री, रघुराम राजन भविष्य के लिए एक एजेंडा बनाने के हमारे प्रयास में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए।’’

पार्टी के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पिछले आठ साल में देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने वाली पार्टी रघुराम राजन पर सवाल कर रही है। पूरा कैबिनेट एकसाथ कर दिया जाए तो भी वे राजन की योग्यता का मुकाबला नहीं कर सकते। नोटबंदी करते हुए अगर राजन जैसे लोगों से विचार-विमर्श करते तो अर्थव्यवस्था तबाह नहीं होती।’’ उन्होंने कहा कि कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रघुराम राजन की तारीफ की है।

रघुराम राजन बुधवार को राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल हुए। उल्लेखनीय है कि डॉ. राजन सितंबर 2013 और सितंबर 2016 के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक के 23वें गवर्नर थे। इससे पहले 2003 से 2006 के बीच वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में मुख्य अर्थशास्त्री रहे।

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