आयकर विभाग के छापे संबंधी जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में घमासान शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पटलवार करते हुए नरेन्द्र मोदी और शिवराज सिंह के नाम से हुए करोड़ो के लेने-देने को प्रेस के सामने रखते हुए मांग की है कि इन दोनों लोगों पर भी मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
दिग्विजय सिंह ने भोपाल में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2013 में पड़े आयकर छापों में कुछ लोगों से जो दस्तावेज जब्त किये गये थे उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि नरेन्द्र मोदी और शिवराज सिंह को करोड़ों रुपये देने का उल्लेख है। उसमें तो शिवराज सिंह के वर्तमान ओएसडी नीरज वशिष्ठ के नाम का भी उल्लेख है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति पर केवल इसलिए एफआईआर दर्ज की जा रही है कि उसका नाम से किसी अन्य के यहां पर मिले दस्तावेज में पैसे दिये जाने का उल्लेख है, तो नरेन्द्र मोदी और शिवराज सिंह तथा उनके ओएसडी नीरज वशिष्ठ पर भी मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ई टेंडरिंग घोटाले की जांच तेजी से कर रही थी। उसको दबाने के लिए ही कांग्रेस की सरकार गिराई गई । यह बात स्वयं शिवराज सिंह सांवेर की सभा में स्वीकार कर चुके है कि यदि नहीं गिराते तो बर्बाद हो जाते। इसी तरह कैलाश विजयवर्गीय भी खुलेआम यह स्वीकार कर चुके है कि नरेन्द्र मोदी ने सरकार गिराई। इन लोगों ने सरकार केवल इसलिए गिराई कि ई टेंडरिंग सहित कई घोटाले सामने आने वाले थे। अब बदला लेने के लिए उन अधिकारियों पर एफआईआर करने की तैयारी है जो इन सब की जांच कर रहे थे।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि यदि किसी दस्तावेज में नाम आने पर कांग्रेस नेताओं और कुछ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की जाती है तो नरेन्द्र मोदी और शिवराज सिंह के खिलाफ भी एफआईआर होनी चाहिए। ऐसा नहीं होता है तो कांग्रेस सड़क से लेकर अदालत तक लड़ाई लडेगी।
सीबीडीटी की जांच को आधार बनाकर चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार को कहा है कि लोक सभा चुनाव के पहले इस तरह के अवैध लेन-देन में जिन लोगों को नाम सामने आया है उन पर कार्यवाही की जाये। उसी के आधार पर राज्य सरकार कुछ अधिकारियों और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ एफआईआर करने की तैयारी कर रही थी, जिसको देखते हुए दिग्विजय सिंह ने पटलवार किया है। वर्ष 2019 के लोग सभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में कमलनाथ के कई करीबियों के यहां पर आयकर छापे डाले गये थे,जिसमें मिले दस्तावेजों में अवैध लेने-देन का जिक्र था।