लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि केंद्र के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ आज सारे देश में आक्रोश दिवस मनाया जा रहा है। मोदीजी के फैसले के कारण गरीब, मजदूर, असंगठित क्षेत्र के लोग, किसान, महिलाएं आदि काफी प्रभावित हुए हैं। लोग एक पैसा भी नहीं निकाल पा रहे हैं। देश की आर्थिक व्यवस्था बर्बाद हो रही है।
उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार के नोटबंदी के फैसले के कारण जनता को जो तकलीफ हो रही है, उसके बारे में हमारे कार्यस्थगन प्रस्ताव को मंजूर किया जाए। मोदीजी सदन से बाहर बोल रहे हैं। हमारा कहना है कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और इस फैसले के बारे में सदन में बोलें।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह राष्ट्रहित में लिया गया क्रांतिकारी, साहसिक और गरीबोन्मुखी कदम है और किसी ने भी यह सवाल नहीं उठाया कि यह गलत नीयत से लिया गया फैसला है। इस फैसले पर किसी ने सवाल नहीं उठाया। विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री से संसद में बहस के दौरान उपस्थित रहने पर जोर दिये जाने पर गृह मंत्री ने कहा, अगर विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री संसद में आएं, तो प्रधानमंत्री आएंगे और बहस में हस्तक्षेप करेंगे।
उन्होंने कहा कि बड़े नोटों को अमान्य करने का हमारी सरकार का फैसला कालेधन के खिलाफ जंग है। राजनाथ सिंह ने कहा कि जहां तक इस फैसले को लागू करने की बात है तो हम पहले दिन से इस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। हम इस बारे में विपक्ष के सुझावों पर भी विचार करने को तैयार हैं।
गृह मंत्री सिंह जब सदन में बोल रहे थे उसी समय कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की बैठक दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर अपरान दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि हमारा लक्ष्य और मकसद यह है कि सदन चले और कामकाज हो। इसमें सत्तारूढ़ पार्टी को भूमिका निभानी है। यह देखना है कि हम समाधान तक कैसे पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और चर्चा का जवाब दें। सदन में सार्थक चर्चा होनी चाहिए।
बंदोपाध्याय ने कहा कि अगर लोगों की पीड़ा के बारे में सदन में चर्चा नहीं होती है तब संसद किस लिए है। लोगों की परेशानियां बढ़ रही हैं और उन्हें राहत नहीं मिल रही है। इसलिए कार्यस्थगन प्रस्ताव मंजूर किया जाए। हम कालाधन और भ्रष्टाचार पर सरकार का समर्थन करने को तैयार हैं। सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा कि हम सभी लोग मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और बोलें। अगर इतने महत्वपूर्ण विषय पर वह सदन में नहीं बोलते हैं तब संसद का क्या मतलब है?
उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में लिये गए इस फैसले के कारण किसान, गरीब, मजदूर सभी परेशान हैं। किसान खेत में बीज नहीं बो पा रहा है। माकपा के पी करूणाकरण ने कहा कि सरकार के नये निर्णय के कारण लोग परेशान हैं। हमने हमेशा चर्चा कराने का समर्थन किया है। हम कार्यस्थगित करके चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं। हम सोचते थे कि प्रधानमंत्री पहले दिन ही सदन में आएंगे और नोटबंदी पर बोलेंगे। हम चाहते हैं कि नोटबंदी पर नियम 56 के तहत चर्चा हो।
उन्होंने कहा कि हमारी यह मांग इसलिए है कि वह :नरेंद्र मोदी: केवल भाजपा के ही प्रधानमंत्राी नहीं हैं बल्कि पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं। राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने कहा कि परिस्थिति और परिणाम का आकलन किये बिना ही बड़े नोटों को अमान्य करने के केंद्र सरकार के निर्णय के कारण गरीब, किसान, मजदूर, आम लोग परेशान हैं। देशभर में आज आक्रोश दिवस मनाया जा रहा है। सदन में इस मुद्दे पर चर्चा हो और प्रधानमंत्री बोलें।
अन्नाद्रमुक के पी कुमार ने कहा कि इस फैसले के कारण आम लोगों को परेशानियां हुई है और सरकार ने राहत देने के लिए पहल की है। बीजद के भृतहरि महताब ने कहा कि मैंने पहले ही कहा कि अतीत तनावपूर्ण था, वर्तमान भी तनावपूर्ण है और भविष्य भी तनावपूर्ण हो सकता है। इस बारे में सबसे महत्वपूर्ण कार्य सरकार को करना है। उन्होंने कहा कि सदन में किसी ने कार्यस्थगन का नोटिस दिया, किसी ने नियम 193 का नोटिस दिया, किसी ने नियम 184 के तहत नोटिस दिया होगा। लेकिन इस विषय पर हमें आपस में बैठकर हल निकालना है। महताब ने कहा कि देश में जो परिस्थितियां बनी है, उस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए और इस बारे में कोई हल जल्द निकालना चाहिए।
शिवसेना के आनंदराव अडसुल ने कहा कि भारत बंद और आक्रोश दिवस का एेलान हुआ लेकिन कोई भी दिखाई नहीं दिया। उन्होंने कहा कि हमने इस बारे में प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। इस बारे में कुछ कदम उठाये भी गए जिससे शहरी क्षेत्राें में थोड़ी राहत मिली है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति खराब है। अडसुल ने कहा कि गुजरात, महाराष्ट, कर्नाटक में सहकारी बैंकों का जाल है। ग्रामीण क्षेत्राों के लोग इससे जुड़े हैं लेकिन यहां पैसा नहीं है। वित्त सचिव ने कहा था कि सहकारी बैंकों को 21 हजार करोड़ रूपये दिये जायेंगे। लेकिन पैसा नहीं मिला। मेरी विनती है कि पैसा शीघ्र दिया जाए क्योंकि ग्रामीण क्षेत्राों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। भाषा एजेंसी